एथिक्स कमेटी ने क्वैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद को दोषी माना. इसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई. जिसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. सबसे बड़ा और अहम सवाल ये है कि क्या महुआ दोबारा चुनावी समर में अपना दम खम दिखा पाएंगी?nसांसदी खत्म!nरिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में TMC सांसद दोषी पाई गईं. लोकसभा ने बहुमत से सदस्यता रद्द कर दी. जिस पर महुआ मोइत्रा ने रिएक्ट भी किया. दम भरा कि वो अगले 30 साल तक सत्ता पक्ष के खिलाफ आवाज बुलंद करती रहेंगी. तो आखिर लड़ाई के उनके टूल क्या हैं?nफैसले को चुनौतीnलोकसभा में बहुमत से हुए फैसले को महुआ चैलेंज कर सकती हैं. संविधान के आर्टिकल-226 के तहत हाईकोर्ट और आर्टिकल-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का ऑप्शन खुला है. इसका अहम पहलू ये है कि ऐसे मामले संसद और स्पीकर के अधिकारों के दायरे में आते हैं यानि अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर. अगर महुआ निर्दोष पाई जाती हैं, तो उनको सांसदी वापस मिल जाएगी और अगर दोषी पाई गईं, तो सांसदी बहाल करने के सारे रास्तों पर पूर्ण विराम लग जाएगा.nजेल हो सकती है जेल!nएथिक्स कमिटी की रिपोर्ट सांसदी रद्द करने के साथ ही पूरे मामले की कानूनी जांच कराने की सिफारिश भी करती है. यानि महुआ के वित्तीय ट्रांजेक्शन के आपराधिक पहलुओं की जांच केंद्रीय एजेंसियां करेंगी. इसके बाद सबूतों के आधार पर चार्जशीट फाइल होने पर अदालत में मुकदमा चलेगा. क्रिमिनल केस में दोषी पाई गईं तो जेल भी हो सकती है. जेल की अवधि पर क्या निर्भर होगा महुआ का चुनावी भविष्य?nचुनाव लड़ने पर असर कितना?nकानूनी जानकारों के मुताबिक आपराधिक मामलों की जांच और केस चलने तक महुआ चुनावों में किस्मत आजमा सकती हैं, लेकिन क्रिमिनल केसेस में अगर महुआ मोइत्रा को 2 साल या 2 साल से ज्यादा सजा मिलती है, तो उनके चुनाव लड़ने पर बैन लग सकता है. 1951 में जनप्रतिनिधि कानून के तहत सांसदों और विधायकों के लिए सजा का प्रावधान है. इस कानून के धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी साबित होता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा.
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अब जेल जाएंगी महुआ मोइत्रा? जानें क्या कहते हैं नियम-कानून
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