3 दिसंबर को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना का परिणाम आएंगे. हालांकि, पहले मिजोरम का भी परिणाम रविवार को ही आना था, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे एक दिन आगे बढ़ाकर सोमवार कर दिया है. कहा जा रहा है कि यह चुनाव परिणाम काफी हद तक अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों का मिजाज बताएंगे. ऐसे में मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह मतगणना होती कैसे है? पहले तो बैलेट पेपर पर ठप्पा लगता था, उन्हें गिनकर तय होता था कि कौन जीता और हारा. लेकिन अब तो EVM और वीवीपैट नाम की चिड़िया आ गई है. आखिर इसमें कैसे काउंटिंग की जाती है? इसमें कितना समय लगता है? काउंटिंग के समय कौन-कौन मौजूद रहता है? इसके अलावा और भी कई सवाल आपके मन में कौंध रहे होंगे. इन लेख में हम आपके इन सभी सवालों के जवाब देने का प्रयास करेंगे.nअब सबसे पहले आपको बताते हैं कि जब सूरज भी सो रहा होता है, उससे पहले ही मतगणना केंद्रों पर हलचल शुरू हो जाती है. राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता तो रात से ही यहां मोर्चा संभाले हुए बैठे होते हैं. लेकिन क़ानूनी कार्रवाई अहले सुबह लगभग 5 बजे से शुरू होती है. हालांकि मतगणना तो 8 बजे के बाद शुरू होती है, लेकिन उससे पहले सभी तैयारियों को पूरा करने के लिए मतगणना पर्यवेक्षकों और सहायकों का आना सुबह 5 बजे शुरू हो जाता है. इन्हें अपने रिपोर्टिंग ऑफिसर के सामने पेश होना होता है. यहां उन्हें सभी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं. इनके मन में कोई शंका हो तो उसका भी समाधान किया जाता है. इसके बाद इन्हें इनकी टेबल बता दी जाती है. यह प्रक्रिया मतगणना शुरू होने से कुछ समय पहले ही बताई जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे. यहां आपको बता दें कि इन्हें फोन समेत कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मतगणना केंद्र पर ले जाने की मनाही होती है.nEVM के बाद VVPAT की पर्चियों की होती है गिनती nइस दौरान प्रत्येक दौर की गिनती के बाद पर्यवेक्षक, उम्मीदवारों के एजेंट इस पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर काउंटर सिग्नेचर करेगा. फिर इसकी घोषणा की जाएगी. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी. इसके बाद अनिवार्य वीवीपैट सत्यापन किया जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच या तय ईवीएम के लिए वीवीपैट पर्चियों की गिनती होगी. अगर वीवी पैट को EVM की गिनती में अंतर आता है तो दोबारा मतगणना की जाएगी. अगर इसके बाद भी दोनों के आंकड़ों में मिलान नहीं होगा तो वीवीपैट पर्ची की गिनती मान्य होगी.nइस लेख में आपने कई वीवीपैट शब्द पढ़ा होगा. आपके मन में यह सवाल कौंधा हो कि यह वीवीपैट आखिर होता क्या है? आपको बता दें कि वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल यानी की VVPAT की प्रक्रिया ईवीएम के वोटों की गिनती के बाद अनिवार्य है.आप जब वोट डालने जाते होंगे तो आपने देखा होगा कि EVM के बगल में एक मशीन रखी हुई होती है. जब आप EVM का कोई बटन दबाते हैं, तब VVPAT मशीन से एक कागज निकलता है. उस कागज पर उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह बना होता है जिसे वोट किया गया है. ये पर्ची वोटर को 7 सेकंड के लिए दिखती है जिसके बाद वो मशीने के ड्राप बॉक्स में गिर जाती है. ऐसा इसलिए किया होता है ताकि वोटर को पता चल सके की उसका वोट सही व्यक्ति को गया है. बता दें कि VVPAT मशीने को केवल पोलिंग अधिकारी ही खोल सकता है. हर मतगणना में VVPAT की गिनती को सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य कर दिया है.
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- कैसे होती है EVM वोटों की मतगणना? यहां समझिए इससे जुड़ा गुणा-भाग
कैसे होती है EVM वोटों की मतगणना? यहां समझिए इससे जुड़ा गुणा-भाग
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