लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर दिया है. 19 अप्रैल से 01 जून के बीच कुल सात चरणों में देश की 543 सीटों पर मतदान किए जाएंगे. बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सीट शेयरिंग फाइनल हो चुकी है. बिहार में बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जेडीयू को 16 सीटें देने पर सहमति बनी है, चिराग पासवान की पार्टी को 5 सीटें दी गई है. nचाचा-भतीजे का प्यार nवहीं इसी बीच बिहार के चाचा-भतीजे की सियासी रंजिश काफी सुर्खियों में है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) इस बार BJP के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन का हिस्सा है और बिहार की हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके चाचा पारस पशुपति ने BJP की मोदी सरकार के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. nnमाफ नहीं करुंगा, बहुत तकलीफ दी…#ChiragPaswan का दर्द छलका, चाचा #pashupatiparas के ऑफर का क्या जवाब दिया? #LokSabhaElection2024 pic.twitter.com/d78l6RW2fZn— Khushbu Goyal (@kgoyal466) April 8, 2024nnnnचुनाव प्रचार करने के लिए तैयार nपासवान परिवार के विवाद से तो सभी वाकिफ हैं, लेकिन अब अचानक चाचा अपने भतीजे पर प्यार बरसाने लगे हैं. पशुपति पारस के भतीजे चिराग पासवान के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए तैयार हैं. चाचा का यह ऑफर स्वीकार है या नहीं, इसे लेकर जब सवाल पूछा गया तो चिराग पासवान का दर्द जुबां पर आया और उन्होंने कड़े शब्दों में चाचा को No Thanks कहते हुए उनका साथ लेने से इनकार कर दिया. nअब अचानक प्यार क्यों? nचिराग पासवान बोले चाचा आज आशीर्वाद बरसा रहे हैं? पहले यह आशीर्वाद उनके सिर से क्यों हटा लिया गया, मुझे नहीं पता? मुझे परिवार से अलग किया, घर से निकाल दिया क्यों मुझे नहीं पता? पता नहीं क्यों मेरे बुरे वक्त में चाचा ने मेरे साथ बुरा सलूक किया? nआज इन सबके बावजूद चाचा पारस समझौता करना चाहते हैं आखिर क्यों? अब मैं बहुत आगे निकल चुका हूं. पारिवारिक विवादों से ऊपर उठ चुका हूं. आज टारगेट है NDA को बिहार की सभी 40 सीटें जीतकर देना और इस टारगेट को पूरा करने में चाचा पारस की जरूरत नहीं है. मेरे समर्थक मेरे साथ हैं, बहुत है. उन्हें मैं माफ नहीं कर सकता, बहुत तकलीफ दी है.
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चाचा-भतीजे की सियासी रंजिश अब प्यार में बदली, आखिर क्या है चुनावी रणनीति?
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