दुनिया जल्द ही नए साल के जश्न में डूबने वाली है. 31 दिसंबर की रात बड़ी-बड़ी पार्टियां होती हैं. दुनियाभर के देश 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत मानते हैं. क्योंकि, उन्होंने ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया है. ये अंग्रेजों का कैलेंडर है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तमाम तरह के व्यापार और बाकी चीजें इसी कैलेंडर के अनुसार ही होती है. यहां तक कि, भारत में हिंदू कैलेंडर का लंबा इतिहास होने के बावजूद ग्रेगोरियन कैलेंडर ही चलता है. लेकिन, दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जो आज भी हिंदू कैलेंडर के हिसाब से चलता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से ही नया साल मनाता है. उस देश का नाम सुनते ही आप चौंक जाएंगे. आपको उस देश का नाम बताएं. उससे पहले ये जान लीजिए कि, आखिर ये हिंदू कैलेंडर होता क्या है? nतो बता दें कि, हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत कैलेंडर का ही प्रचलित नाम है जो भारत में लंबे समय तक चलता रहा. विक्रम संवत हिंदुओं के लिए एक ऐतिहासिक कैलेंडर है. ये कैलेंडर चांद की स्थिति और पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा के समय पर आधारित होता है. कई लोग इसे पंचाग भी कहते हैं. इसमें तारीख की तिथि कहते हैं. सप्ताह में सात ही दिन होते हैं और आमतौर पर साल में 12 महीने होते हैं. लेकिन कई बार साल 13 महीने का भी हो जाता है. nइस कैलेंडर का नाम हिंदू राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया है. विक्रम संवत कैलेंडर चंद्र आधारित है. हिंदू कैलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं. चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन. यानी पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है. और एक बात और बता दें कि, हिंदू कैलेंडर…अंग्रेजों के कैलेंडर ग्रेगोरियन से 57 साल आगे है. nऐसे में हिंदुस्तान को अपनी परंपरा को शायद भूलता जा रहा है. लेकिन, नेपाली लोगों विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार की चलते है. नेपाल ही वो देश है, जहां आज भी हिंदू कैलेंडर चलता है. इसका सबसे बड़ा कारण हैं कि, नेपाल में कभी अंग्रेजों का शासन नहीं रहा. इसलिए वे कभी भी नेपाल पर अपनी परंपराएं नहीं थोप सके. इसकी मिसाल कैलेंडर भी है. नेपाल में विक्रम संवत का आधिकारिक इस्तेमाल 1901 ईस्वी में वहां के राणा वंश ने शुरू किया था. जिसका पालन वो आज भी करते आ रहे हैं.