आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों छह विकेट से हार मिली है. गुजरात के अहमदाबाद में स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुए इस मैच को देखने के लिए देशभर से वीआईपी पहुंचे थे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी टीम इंडिया को सपोर्ट करने के लिए स्टेडियम गए थे. हालांकि, अब उनके इस दौरे को लेकर सियासत शुरू हो गई है और विपक्ष ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है. nदरअसल, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने पीएम मोदी के मैच देखने पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी पर्दे के पीछे गेम प्लान चला रही थी कि भारतीय टीम जीते तो नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खुद पीएम मोदी मौजूद हों. राउत ने कहा कि अगर आप कपिल देव को नहीं बुलाते हैं, तो ये क्रिकेट किस तरह से हुआ, ये तो राजनीति हुई. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और भारत को पहला वर्ल्ड कप जीतने वाले कपिल देव ने कहा है कि उन्हें मैच देखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया.nहार का असर सबके दिल पर: संजय राउतnसंजय राउत ने कहा कि एक्टर्स को मैदान में मैच देखने के लिए बुलाया गया, नेताओं को बुलाया गया. मगर कपिल देव को फाइनल देखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. उन्होंने अहमदाबाद के क्रिकेट फैन्स पर भी सवाल उठाया और कहा कि जिस तरह से इंग्लैंड में लॉर्ड्स का मैदान है, वैसे ही मुंबई में वानखेडे़ स्टेडियम है. मैच वानखेडे़ जैसे स्टेडियम में होना था, जहां टीम को ज्यादा सपोर्ट मिलता. उन्होंने कहा कि भारत की हार का असर सबके दिल पर हुआ है. nकांग्रेस ने भी कपिल देव को लेकर उठाए सवालnपूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव को फाइनल मैच में नहीं बुलाने को लेकर कांग्रेस भी हमलावर है. महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘आज के समय में हर जगह राजनीति हो रही है. फिर क्रिकेट को कैसे छोड़ा जा सकता है? यहां पर भी राजनीति हो रही है. यही वजह है कि कपिल देव को आमंत्रण नहीं दिया गया.’ बता दें कि भारत को फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के हाथों छह विकेट से मिली हार का सामना करना पड़ा है. nकपिल देव ने आमंत्रण नहीं मिलने की बात कहीnदरअसल, भारत को 1983 में पहला वनडे वर्ल्ड कप जीताने वाले कपिल ने कहा कि वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ फाइनल में जाना चाहते थे. कपिल ने एबीपी न्यूज से कहा, ‘मुझे वहां आमंत्रित ही नहीं किया गया. उन्होंने मुझे बुलाया नहीं इसलिये मैं नहीं गया. यह इतना ही सरल है. मैं चाहता था कि 1983 की पूरी टीम वहां मेरे साथ हो लेकिन मुझे लगता है कि यह इतना बड़ा टूर्नामेंट है और लोग जिम्मेदारियां संभालने में इतने व्यस्त हैं कि कभी कभार वे भूल जाते हैं.’