विपश्यना करने पहुंचे CM केजरीवाल, जानें क्या होता है ये?

दिल्ली शराब नीति घोटाले जांच अब अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंच गई है. हाल ही में ईडी ने सीएम केजरीवाल को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन, सीएम ने कह दिया कि उनका विपश्यना का कार्यक्रम पहले से तय था इसलिए वो 21 तारीख़ को नहीं आ पाएंगे. केजरीवाल एक बार फिर विपश्यना ध्यान करने गए हैं. 20 से 30 दिसंबर तक वो विपश्यना में रहेंगे. nबता दें कि, ये पहला मौका नहीं है जब सीएम केजरीवार विपश्यना करने के लिए गए हों. इससे पहले साल 2021 में भी अरविंद केजरीवाल विपश्यना करने गए थे. तब भी वो कई दिनों में लौटे थे. ऐसे में अब आपके मन में सवाल आया होगा कि, आखिर ये विपश्यना क्या है? साथ ही इससे क्या होता है? ऐसे में इस खबर में विपश्यना से जुड़ी तमाम जानकारी देंगे. nविपश्यना एक ‘ध्यान विधि’ है. भारत में ये करीब ढाई हज़ार साल पुरानी मानी जाती है. विपश्यना का अस्तित्व तो उससे भी पहले से था, लेकिन फिर ये ध्यान कला करीब-करीब लुप्त हो गई थी. फिर गौतम बुद्ध ने इसको री-डिस्कवर किया. भारत से विपश्यना पहुंची बर्मा, थाइलैंड जैसे देशों में. बुद्ध गए तो 500 साल बाद विपश्यना वैसी नहीं रह गई जैसी ये थी, धीरे-धीरे भारत से ही गायब होने लगी. लेकिन, बर्मा जैसी जगहों के लोगों ने इसे बचाए रखा. और अब एक बार फिर विपश्यना बड़े स्तर पर लोगों के बीच पहुंच रही है. nक्या है फायदा?nविपश्यना का मकसद होता है कि, दिमाग में जो कुछ चल रहा है और उससे जो दिक्कत हो रही है, उससे पिंड छुड़ाना. केवल बॉडी ही नहीं, दिल-दिमाग के भी दुखों को, ओवरथिंकिंग को दूर करना. इसमें आदमी खुद को चेक करता है और खुद को भीतर से शुद्ध करने की कोशिश करता है. जो कुछ भी घट रहा हो, उसको आदमी तटस्थ होकर देखता है और अपने चित्त को साफ करने की कोशिश करता है. कम शब्दों में बताएं तो दिन में कई-कई बार बैठे-बैठे ध्यान करना होता है. 10 घंटे बैठे रहो, और ध्यान करो. दस दिन तक मौन रखना होता है. इशारों में भी बात नहीं कर सकते.

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