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संभल का हरिहर मंदिर ही नहीं, 30 हजार मंदिरों पर है आज तक कब्जा

भारत में इन दिनों संभल के हरिहर मंदिर पर विवाद फिर से सामने आया है। जामा मस्जिद पर सर्वे करने गई टीम पर हमला हुआ और फिर विवाद बढ़ता चला गया। लेकिन आज इस विवाद के बीच कई और मंदिरों की आवाज उठने लगी है। संभल के हरिहर मंदिर के बाद राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने की बात कही जा रही है।

कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में सनातन धर्म के करीब 30 हजार मंदिर दबे हुए हैं। लेकिन इन 30 हजार मंदिरों में से कुछ मंदिरों के लिए आवाज उठने लगी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बाबरनामा, अकबरनामा जैसी किताबों में इन मंदिरों का जिक्र भी मिलता है। हम किताबों का जिक्र करें उससे पहले आपको उन मंदिरों के बारे में बताते हैं जिन्हें आजाद कराने की मांग की जा रही है या फिर हाल ही में जिन्हें मुक्त कराया गया है।

1- राम जन्मभूमि, अयोध्या, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अयोध्या धाम में भगवान श्री राम का जन्म हुआ। इसी वजह से अयोध्या सनातन धर्म में बेहद पवित्र जमीन है। सदियों से सनातन धर्म को मानने वाले लोग पूजा अर्चना करते आए हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं साल 1528 में जहीरुद्दीन मुहम्मद उर्फ बाबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक बने थे। इसी दौरान बाबर ने दिल्ली को भी जीता था। दिल्ली जीतने के बाद से ही बाबर ने अन्य धर्मों को निशाना बनाना तेज कर दिया।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को तोड़ दिया। राम मंदिर तोड़ने के बाद उसी स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया। बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद से सनातन धर्म इसका विरोध कर रहा था। दशकों तक इस स्थान के लिए युद्ध हुए और दशकों तक कोर्ट में केस लड़ा गया और फिर अंत में सनातन पक्ष की जीत हुई।

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ये जमीन सनातन पक्ष को सौंप दी। जिसके बाद वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ। राम मंदिर निर्माण के बाद से अब तक कई करोड़ भक्तों ने राम लला के दर्शन और पूजन किया है। कुछ ख़बरों में बताया गया है कि अयोध्या धाम जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसी लोकप्रियता को देखते हुए एक बार फिर बाकी मंदिरों को भी आजाद कराने की मांग की जाने लगी है।

2- ज्ञानवापी मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अयोध्या में सनातन पक्ष की जीत होने के बाद वाराणसी के ज्ञानवापी मंदिर को आजाद कराने की मांग भी तेज हो गई है। ज्ञानवापी को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है। कोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल की जांच की गई। जहां भगवान शिव के मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं। इसी के बाद कोर्ट ने यहां पूजा करने की इजाजत दे दी।

हालांकी अभी भी सनातन पक्ष के पास इस जगह का पूरा कब्जा नहीं मिला है। जिसकी वजह से लगातार ज्ञानवापी मंदिर को लेकर भी आवाज बुलंद हो रही है। ज्ञानवापी में मिले नंदी महाराज या फिर फव्वारे में तब्दील कर दिए गए शिवलिंग की बात करें। ये दोनों ही सबूत इस केस में सबसे अहम साबित हुए हैं। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कोर्ट इस केस में क्या फैसला सुनाता है।

3- कृष्ण जन्म भूमि, मथुरा, उत्तर प्रदेश

अयोध्या की राम जन्मभूमि की तरह ही मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि भी विवादों में है। लेकिन इसका विवाद थोड़ा हटके है। दरअसल, औरंगजेब नामा किताब में कृष्ण जन्म स्थल को तोड़ने का जिक्र है। इतना ही नहीं इसी स्थान पर शाही ईदगाह बनाने का भी उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1670 में औरंगजेब ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म स्थान को तोड़ने का आदेश दिया था। जिसके बाद यहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। इसी के बाद से सनातन पक्ष इस जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है। सनातन पक्ष अभी भी कृष्ण जन्म स्थली के लिए कोर्ट में केस लड़ रहा है। लेकिन जांच में ये विवादित हिस्सा किसे मिलता है ये भी देखना अहम होगा।

4- हरिहर मंदिर, संभल, उत्तर प्रदेश

संभल के हरिहर का मामला अभी ताजा है। इस मंदिर का जिक्र भी कई मुस्लिम किताबों में मिलता है। कई मुगल शासकों के राज में हरि हम मंदिर का वर्णन मिलता है। रिपोर्ट्स बताती हैं पूरा संभल पृथ्वी राज चौहान के राज में आता था। पृथ्वीराज चौहान का परिवार हरि हर मंदिर में पूजा करता था।

एक रिपोर्ट ये भी बताती है कि हरिहर मंदिर कई सदियों से संभल में बना है। इसका जिक्र खुद कल्कि पुराण में मिलता है। इस मंदिर का निर्माण खुद भगवान महादेव ने कराया था। जिसे लंबे समय तक सनातनी संभालते रहे। लेकिन मुगलों के राज में और पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद मंदिरों पर मुगलों ने कब्जा कर लिया। इसी दौरान 1875 में शाही जामा मस्जिद का निर्माण कराया गया है।
इसी शाही जामा मस्जिद के अंदर सनातन धर्म के कई अहम सबूत दबे हुए हैं। जैसे ही इस मस्जिद में एक कुआ है। जहां 15 साल पहले तक हिंदू समाज पूजा करता रहा है। बताते हैं कि जब भी किसी सनातन धर्म को मानने वाले की शादी होती थी। वो यहां कुए पर भी पूजा करने के लिए आता था। लेकिन बाद में मुस्लिम पक्ष ने इस पूजा पर रोक लगवा दी। तभी से सनातन पक्ष इस मंदिर को आजाद कराने की मांग कर रहा है। अब सर्वे हो चुका है लेकिन सर्वे रिपोर्ट में क्या आता है। इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं।

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