मशहूर गायक पी जयचंद्रन का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गुरुवार (9 जनवरी) को अपने घर पर गिरने के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। जयचंद्रन लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
संगीत के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान
जयचंद्रन ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और हिंदी भाषाओं में 16,000 से ज्यादा गाने गाए। भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और केरल सरकार का जे सी डैनियल पुरस्कार शामिल हैं।
उनकी आवाज ने संगीत प्रेमियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। फिल्म ‘श्री नारायण गुरु’ में उनके गाए गीत ‘शिव शंकर शरण सर्व विभो’ ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
जयचंद्रन ने इरिनजालकुडा के क्राइस्ट कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक की पढ़ाई की। स्नातक के बाद उन्होंने चेन्नई में एक निजी फर्म में भी काम किया। हालांकि, संगीत के प्रति उनकी लगन ने उन्हें जल्द ही एक अलग दिशा में ले जाया।
संगीत की दुनिया में सफर की शुरुआत
उनके करियर का टर्निंग पॉइंट तब आया जब निर्माता शोभना परमेश्वरन नायर और निर्देशक ए विंसेंट ने चेन्नई में उनके एक संगीत शो को देखा। इसके बाद उन्हें 1965 में फिल्म ‘कुंजली मरक्कर’ में गाने का मौका मिला।
उनका पहला गाना था:
‘ओरु मुल्लाप्पू मलयुमई’, जिसे गीतकार पी भास्करन ने लिखा। हालांकि, उनका पहला रिलीज हुआ गाना फिल्म ‘कालिथोजान’ का ‘मंजालयिल मुंगीथोर्थी’ था।
संगीत जगत को अपूरणीय क्षति
जयचंद्रन का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके गाए गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनकी आवाज और उनकी कला को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।
“जयचंद्रन का जाना संगीत की एक अमूल्य धरोहर को खोने जैसा है।”