इजरायल और हमास के बीच 7 अक्टूबर से शुरू हुआ युद्ध अभी भी जारी है. इस जंग में अबतक लगभग 5000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इन सब के बीच अब एक हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आई है कि इजरायल पर हमला करने के लिए हमास के लड़ाके कैप्टागन नाम की सिंथेटिक ड्रग लेकर आए थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस संघर्ष में मारे गए कई लड़ाकों की जेब से कैप्टागन की गोलियां मिली हैं.nकैप्टागन को ‘गरीबों की कोकीन’ भी कहा जाता है. इसी गोली को खाकर हमास के लड़के बिना खाए-पिए, बिना थके इजरायल में मासूमों को मारते रहे. इससे पहले आतंकी संगठन ISIS पर भी अपने आतंकियों को कैप्टागन गोलियां खिलाने के आरोप लगते आए हैं. ऐसे में जानते हैं कि, आखिर ये कैप्टागन गोली है क्या? nक्या है कैप्टागन?nकैप्टागन के बारे में कहा जाता है कि, ये एक सिंथेटिक दवा है. जिसे सबसे पहले जर्मनी में बनाया गया था. इसे बनाने का मकसद ध्यान की कमी जैसे मनोविकारों का इलाज करना था. हालांकि, बाद में मिडिल ईस्ट में इसका इस्तेमाल पार्टियों में ड्रग्स के रूप में किया जाने लगा. वहीं, सीरिया की जंग में लड़ाकों ने भी अपनी ताकत बढ़ाने और थकान को मिटाने के लिए इसी कैप्टागन गोली का सेवन किया था. ऐसे में अमेरिका ने इस दवा पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. साथ ही 1980 में इस दवा का निर्माण किया जाना भी बंद कर दिया गया. लेकिन, इसका अवैध निर्माण अब भी होता है.nक्या होता है कैप्टागन का असर?nनींद की जरूरत नहीं महसूस होती. nशरीर में एकदम से काफी ऊर्जा का एहसास होने लगता है. nथकान का एहसास नहीं होता. nभूख नहीं लगती.nगाजा में कैसे पहुंची कैप्टागन?nएक दशक पहले तक कैप्टागन सीरिया में बड़े रूप में निर्मित की जाती थीं. यही वजह है कि सीरिया दुनिया का नार्को स्टेट भी कहा जाता है. ब्रिटिश सरकार का दावा है कि दुनिया की 80 प्रतिशत कैप्टागन की गोलियां सीरिया में निर्मित की जाती हैं. सीरिया में कैप्टागन की गोलियां बनाने वाली कंपनिया देश के राष्ट्रपति बशर अलअसद के रिश्तेदारों की ही हैं. इसके अलावा बशद अल असद चरमपंथी संगठन हमास का समर्थन करने वाले हिजबुल्लाह का भी पूरा समर्थन करते हैं. यरुशलम पोस्ट ने भी अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि गाजा में पिछले कुछ समय में कैप्टागन की तस्करी में वृद्धि देखी गई है. साथ ही इसका इस्तेमाल भी बढ़ा है.nकितनी है गोलियों की कीमत?nमीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गरीब देशों में इस ड्रग्स की एक गोली की कीमत एक या डॉलर होती है. वहीं अमीर देशों में इसे लगभग 20 डॉलर प्रति गोली बेचा जाता है. वहीं कुछ रिपोर्ट्स में इस बात का भी दावा किया गया था कि कैप्टागन ड्रग्स इजरायल तक भी पहुंच गई है. जहां ये एक हजार रुपए प्रति गोली में बिकती है. छोटे देशों में इसकी बेहद कम कीमत के चलते ही इसे ‘गरीबों की कोकीन’ कहा जाता है.
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- क्या है कैप्टागन? जिसे खाकर हमास के लड़ाकों ने इजरायल में मचाई थी तबाही!
क्या है कैप्टागन? जिसे खाकर हमास के लड़ाकों ने इजरायल में मचाई थी तबाही!
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