कांग्रेस और बीजेपी से मोह भंग होने के बाद अब मिर्ची बाबा अखिलेश यादव के हो गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनके साथ एक तस्वीर साझा की है. मिर्ची बाबा को मध्य प्रदेश में एक वीवीआईपी सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी है. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, मध्य प्रदेश में एक विशेष सीट से चुनाव लड़ने की शुभकामनाएं.nसमाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो मिर्ची बाबा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. कभी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के करीबी रहे मिर्ची बाबा ने अब पाला बदल लिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार किया था. कांग्रेस की सरकार बनने पर कमलनाथ ने उन्हें निगम का अध्यक्ष बना कर राज्य मंत्री का दर्जा दिया था.nदरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मिर्ची बाबा ने दिग्विजय सिंह के लिए पूजा पाठ किया था. उन्होंने दिग्विजय की जीत की भविष्यवाणी की थी. कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय तब भोपाल से चुनाव लड़ रहे थे. बाबा ने तब पांच क्विंटल मिर्ची के साथ हवन किया, लेकिन दिग्विजय चुनाव हार गए. तब मिर्ची बाबा ने जल समाधि लेने की घोषणा की थी. इसके लिए उन्होंने भोपाल के कलेक्टर से इजाज़त मांगी पर नहीं मिली.nबता दें कि, बाबा रेप के एक आरोप में जेल भी जा चुके हैं. रायसेन की एक महिला ने झाड़ फूंक के बहाने मिर्ची बाबा पर रेप का आरोप लगाया था. शादी के चार साल होने के बाद भी उस महिला को बच्चा नहीं हुआ. तब वो बाबा से मिली थी. भोपाल के महिला पुलिस थाने में मुकदमा होने पर पुलिस ने मिर्ची बाबा को ग्वालियर के एक होटल से गिरफ़्तार किया था. गिरफ़्तारी के बाद कांग्रेस के नेताओं ने बाबा से दूरी बना ली. इसके बाद ही मिर्ची बाबा और कांग्रेस के रास्ते अलग अलग हो गए.nकांग्रेस से मोह भंग होने के बाद मिर्ची बाबा ने बीजेपी नेताओं से मेल जोल शुरू किया. शिवराज सरकार के कई मंत्रियों के संपर्क में रहे. एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से उनके अच्छे रिश्ते हैं. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिर्ची बाबा की तस्वीरें हैं. लेकिन बीजेपी में मिर्ची बाबा की दाल नहीं गली. इसके बाद अब वे समाजवादी कैंप में चले गए हैं.nमिर्ची बाबा का असली नाम राकेश दूबे है. वे एमपी के ही भिंड जिले के रहने वाले हैं. पहले वे एक ऑयल कंपनी में मजदूरी किया करते थे. लोग बताता है कि 1997 में जमीन बेच कर उन्होंने ट्रक ख़रीद कर ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया. लेकिन ये धंधा नहीं चला. फिर से मजदूरी करने राकेश दूबे अहमदाबाद चले गए. यहां वे एक संन्यासी के संपर्क में आए. उनसे प्रभावित होकर उन्होंने संन्यास ले लिया और अपना नाम वैराग्यनंद गिरी कर लिया.nफिर उन्होंने भागवत कथा करना शुरू कर दिया. वे अपने भक्तों को प्रसाद में मिर्च दिया करते थे, इसीलिए मिर्ची बाबा कहलाने लगे. मिर्ची बाबा का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है. एक बार कमलनाथ के मंच पर उन्हें कुर्सी नहीं मिली तो वे जमीन पर बैठ कर धरना देने लगे. एक बार गौरक्षा के लिए वे आमरण अनशन पर बैठ गए, तब एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें गंगा जल और गो मूत्र से उनका अनशन तुड़वाया था.
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MP Election: सपा के हुए मिर्ची बाबा, CM शिवराज के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव!
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