ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने नए साल के जश्न (New Year Celebration) पर सख्त राय दी है। उन्होंने कहा कि “चश्मे दरफ्ता बरेली शरीफ” ने इस विषय में एक फतवा (Fatwa) जारी किया है। इस फतवे में मुसलमान युवाओं और युवतियों को नए साल का जश्न न मनाने की सलाह दी गई है।
फतवे में क्या है ?
मौलाना रज़वी ने कहा,”नए साल का जश्न मनाना न तो गर्व की बात है और न ही इसे मनाया जाना चाहिए। ये ईसाई समुदाय का नया साल यानी अंग्रेजी कैलेंडर का साल है। किसी भी गैर-मज़हबी प्रथाओं को अपनाना और मनाना मुसलमानों के लिए सख्त नाजायज (Strictly Forbidden) है।”
उन्होंने युवाओं को नसीहत दी कि वे इस तरह के जश्न (Celebration) से बचें और अपनी इस्लामिक परंपराओं (Islamic Traditions) का पालन करें।
फतवे का उद्देश्य (Purpose of Fatwa)
इस फ़तवे का मुख्य उद्देश्य मुसलमान युवाओं को इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने की याद दिलाना है। मौलाना ने कहा कि नए साल का जश्न “इस्लामिक संस्कृति (Islamic Culture)” के खिलाफ है और इसे किसी भी रूप में प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।
क्या है विवाद का कारण?
“नया साल एक विदेशी परंपरा (Foreign Tradition) है। मुसलमानों को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखनी चाहिए।” मौलाना के अनुसार, अंग्रेजी कैलेंडर के नए साल को मनाना मुसलमानों को उनके धार्मिक मूल्यों से दूर करता है।
मुसलमानों को दी गई हिदायत (Advice to Muslims)
- नए साल की बधाई न दें।
- जश्न और पार्टी से बचें।
- इस्लामी परंपराओं के अनुसार समय बिताएं।
- गैर-इस्लामी रीति-रिवाजों से दूर रहें।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी ने साफ किया कि मुसलमानों को “नए साल का जश्न (New Year Celebration)” मनाने से बचना चाहिए और अपनी धार्मिक परंपराओं (Religious Traditions) का पालन करना चाहिए। उनका मानना है कि ये फ़तवा मुसलमान युवाओं को सही राह दिखाने और उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के लिए जारी किया गया है।