राजनीति का अखाड़ा बना महाकुंभ 2025 का आयोजन

mahakumbh 2025 VK News

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समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख Akhilesh Yadav ने कुंभ (Kumbh) को लेकर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा, “कुंभ में निमंत्रण नहीं दिया जाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि कुंभ में लोग अपनी आस्था और विश्वास के चलते आते हैं।

अखिलेश यादव ने कहा, “हमने अपने धर्म में सीखा है कि ऐसे आयोजनों में लोगों को बुलाने की जरूरत नहीं होती। करोड़ों लोग आते हैं, क्या उन्हें निमंत्रण दिया जाता है? ये सरकार अलग तरीके से काम करती है।”

BJP सांसद Dinesh Sharma का पलटवार

सपा प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए BJP सांसद दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव ने कुंभ के लिए लोगों को आमंत्रित नहीं किया, ये उनकी कर्तव्यहीनता (Negligence) थी।” दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव की पिछली सरकारों ने कुंभ के आयोजन में बाधाएं डालीं और नहीं चाहा कि लोग इसमें हिस्सा लें।

उन्होंने आगे कहा,“कुंभ हजारों साल पुरानी परंपरा (Ancient Tradition) है। लोग आस्था से आते हैं। लेकिन इस बार सरकार ने नई व्यवस्थाएं की हैं, जिनकी तारीफ पूरी दुनिया कर रही है।”

कुंभ और नई व्यवस्थाओं की सराहना

दिनेश शर्मा ने वर्तमान सरकार की व्यवस्थाओं की तारीफ करते हुए कहा,“सरकार ने कुंभ में रिकॉर्ड तोड़ व्यवस्थाएं (Record-Breaking Arrangements) की हैं। इसे देखकर पूरी दुनिया हैरान है। सरकार साधुवाद की पात्र है।”


राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला

कुंभ को लेकर अखिलेश यादव और भाजपा नेताओं के बीच यह बयानबाजी एक बार फिर ये दिखाती है कि धार्मिक आयोजनों का राजनीतिकरण (Politicization of Religious Events) किस तरह से किया जा रहा है। जहां अखिलेश यादव कुंभ को आस्था का विषय बताते हैं, वहीं BJP इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत करती है।

कुंभ मेले की भव्यता और इसके प्रति लोगों की आस्था को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि ये आयोजन केवल व्यवस्था से नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की भावनाओं से भी संचालित होता है। वहीं, राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी इस आयोजन के महत्व को और भी उजागर करती है।

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