आज का दिन सोमवती अमावस्या स्नान पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। सोमवार (30 दिसंबर) को अमावस्या का विशेष महत्व होता है, और इसे “पुण्यदायी और जीवनदायी” माना जाता है। हरिद्वार और प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। ठंड के बावजूद, गंगा और संगम में स्नान करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
गंगा स्नान का महत्व
माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये स्नान सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य देता है। इस अवसर पर लोग अपने पितरों के निमित्त पूजा-पाठ और तर्पण भी करते हैं, जिससे जीवन में सुख और शांति आती है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
हरिद्वार और प्रयागराज में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को जोन और सेक्टर में बांटकर पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की तैनाती की गई है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
पंडितों ने बताया कि, सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ये दिन अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल देता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी शरशैया पर पड़े हुए इस अमावस्या की प्रतीक्षा की थी।
खास पूजा विधियां
सोमवती अमावस्या पर स्नान के साथ-साथ पितरों के लिए तर्पण, पीपल के वृक्ष की पूजा, और 108 परिक्रमा करने का भी महत्व है। पंडितों का कहना है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ये धार्मिक आयोजन श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जिसमें न केवल गंगा स्नान बल्कि समाज और संस्कृति से जुड़े अनेक पहलुओं का महत्व भी झलकता है।