'One Nation One Election' हुआ लागू, लेकिन यह कानून है पुराना, जानें क्या है इसका किस्सा?
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले देश में एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) लागू हो चुका है. वहीं अब 2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जा सकते हैं. Just before the Lok Sabha elections 2024, One Nation One Election has been implemented in the country. Now the Lok Sabha and Assembly elections of 2029 can be held simultaneously.
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले देश में एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) लागू हो चुका है. वहीं अब 2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जा सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में पहले भी ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के तहत चुनाव हो चुके हैं. एक साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद और विधायक चुने गए थे.
साल 1952, 1957, 1962 और 1967 यानी 4 बार देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे, लेकिन इसके बाद विधानसभाओं के राजनीतिक उथल पुथल के चलते पहले भंग हो जाने से एक साथ चुनाव कराने का सिलसिला टूट गया और देश में अलग-अलग लोकसभा-विधानसभा चुनाव होने लगे.
The High-Level Committee on simultaneous elections, chaired by Ram Nath Kovind, Former President of India, met President Murmu at Rashtrapati Bhavan and submitted its report. Union Home Minister Amit Shah was also present. pic.twitter.com/zd6e5TMKng
— ANI (@ANI) March 14, 2024
समय से पहले हुए चुनाव
इतिहास में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1971 में पहली बार लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने की जरूरत पड़ गई थी। हालांकि चुनाव नियमानुसार 5 साल बाद 1972 में होने थे, लेकिन उस समय रहीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का नेशनलाइजेशन कर दिया था.
बढ़ती लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए उन्होंने साल के बीच में ही चुनाव करा दिए, जिसमें एक बार फिर इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री की शपथ ग्रहण की.
VIDEO | "The discussion on 'one election one election' was first held in 2014-15 when the Election Commission was asked about its possibility. The EC had told the government that 'one nation one election' have been held in 1952, 1957, 1962 and 1967 when Lok Sabha and Assembly… pic.twitter.com/mYJ5yq1aVt
— Press Trust of India (@PTI_News) September 1, 2023
टूटी एक चुनाव की प्रथा
साल 1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 423 सीटों में से सिर्फ 198 सीटें मिली थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए 212 सीटों का बहुमत चाहिए था, लेकिन कांग्रेस ने 37 निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बना ली और CP गुप्ता मुख्यमंत्री बने, लेकिन चौधरी चरण सिंह बागी हो गए। उनके कारण गुप्ता सरकार गिर गई. चरण सिंह ने भारतीय जनसंघ और संयुक्त समाजवादी पार्टी का सहयोग से सरकार बना ली, लेकिन गठबंधन में पदों को लेकर चली अनबन के कारण यह सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाई, जिसके चलते चरण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा.