श्रीमद्भगवद्गीता पर पढ़ें इन 10 लोगों की व्याख्याएं

Read the interpretation of these 10 people on Srimad Bhagavad Gita: विश्व में सर्वाधिक भाष्य, व्याख्याएं, टिकाएं और लेखन गीता पर ही हुए हैं। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद् गीता में ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने की सभी विचारधाराओं को का समावेश किया गया है। इसी के साथ ही उमें जीवन से जुड़ी कई समस्याओं का हल भी आपको मिलेगा। यदि आप गीता को पढ़कर समझने की क्षमता नहीं रखते हैं तो हमारे बताए 10 लोगों की गीता पर कहे गए व्याख्यान को पढ़ें। - 10 peoples book on Geeta

श्रीमद्भगवद्गीता पर पढ़ें इन 10 लोगों की व्याख्याएं

Read the interpretation of these 10 people on Srimad Bhagavad Gita:

विश्व में सर्वाधिक भाष्य, व्याख्याएं, टिकाएं और लेखन गीता पर ही हुए हैं। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद् गीता में ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने की सभी विचारधाराओं को का समावेश किया गया है। इसी के साथ ही उमें जीवन से जुड़ी कई समस्याओं का हल भी आपको मिलेगा। यदि आप गीता को पढ़कर समझने की क्षमता नहीं रखते हैं तो हमारे बताए 10 लोगों की गीता पर कहे गए व्याख्यान को पढ़ें।

1. शंकराचार्य : गीता का सबसे पहला ज्ञात भाष्य आद्य शंकराचार्य ने लिखा, जिसे 'शांकर भाष्य' कहा जाता है। आदि शंकराचार्य ने इस महान ग्रंथ को अपने 'प्रस्थानत्रयी' में स्थान दिया। उन्होंने प्रस्थानत्रयी के अन्तर्गत वेदान्त सूत्र, एकादश उपनिषदों (ईशावास्य, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, श्वेताश्वतर, छान्दोग्य व बृहदरण्यक) के साथ गीता को भी सम्मिलित किया और इन सभी पर भाष्य लिखा।

2. बालगंगाधर तिलक : बालगंगाधर तिलक ने गीता रहस्य नाम से गीता पर भाष्य ग्रंथ लिखा। बर्मा के मंडाले जेल में कालापानी भुगतते हुए तिलक महाराज ने नवंबर 1910 से मार्च 1911 के बीच मात्र एक सौ पांच दिनों में ही बारह सौ दस पृष्ठों का यह भाष्य-ग्रंथ लिख दिया था।

3. श्रील प्रभुपाद : अन्तर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कान) के संस्थापक तथा हरे राम हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रवर्तक श्रील प्रभुपाद के विश्वप्रसिद्ध गीता-भाष्य- 'श्रीमद्भागवत गीता यथा रूप' का नजरिया बहुत अलग ही है।

4. ओशो रजनीश : ओशो रजनीश में गीता पर कुछ भी नहीं लिखा उन्होंने गीता पर जो अद्भुत प्रवचन दिए उसे ही लिपिबद्ध कर उसका नाम 'गीता दर्शन' रखा गया। यह किताब लकभग 8 भागों में है। इसे पढ़ना या सुनना सबसे अद्भुत है।

5. महात्मा गांधी : महात्मा गांधी ने अपने सत्य के प्रयोग के अलावा गीता पर भी गीता टीका लिखी है, जिसे अनासक्ति योग कहते हैं।

6. स्वामी मायानंद चैतन्य- स्वामी मायानंद चैतन्य ने गीतोपनिषद नाम से गीता पर भाष्य लिखा है।

7. परमहंस योगानन्द : इन्होंने ईश्वरार्जुन संवाद नाम से गीता पर टीका लिखी है।

8. जयदयाल गोयन्दका: गीता तत्व विवेचनी टीका को आप गीता प्रेस गोरखपुर से प्राप्त कर सकते हैं। इसमें 2515 प्रश्न और उनके उत्तर के रूप में प्रश्नोत्तर शैली में गीता के श्लेकों की विस्तृत व्याख्या के साथ अनेक गूढ़ रहस्यों का सरल, सुबोध भाषा में सुन्दर प्रतिपादन किया गया है।

9. विनोबा भावे : गांधीवादी विचारण विनोबा भावने के गीताई नामक ग्रंथ लिथा है।

10. श्रीयामुन मुनि : विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त के महान् आचार्य श्रीयामुन मुनि ने गीता के एक-एक अध्याय का वर्णन किया है, जो उनके 'गीतार्थ-संग्रह' ग्रंथ में है।