जानिए, उत्तराखंड में UCC ड्रॉफ्ट में किन मुद्दों को किया गया है शामिल

UCC ड्राफ्ट में बहुविवाह से लेकर लिव-इन रिलेशनशिप तक के लिए कानून बनाया गया है. In the UCC draft, legislation has been made for everything from polygamy to live-in relationships.

जानिए, उत्तराखंड में UCC ड्रॉफ्ट में किन मुद्दों को किया गया है शामिल

उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित यूसीसी समिति की प्रमुख रंजना प्रकाश देसाई ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शुक्रवार को मसौदे के दस्तावेज सौंप दी है. उत्तराखंड की जनता से वादा किया गया था कि नई सरकार के गठन के बाद समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनाएं जाएंगे. पूरी तरह आश्वासित होकर ही इस ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश कर विधेयक लाएंगे. यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी.

2022 को ड्राफ्टिंग कमेटी का हुआ था गठन 

साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह घोषणा की थी कि उत्तराखंड में अगर बीजेपी की सरकार दोबारा बनती है तो सबसे पहले समान नागरिक संहिता कानून पर फैसला लिया जाएगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही, साल 2022 को ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन कर 5 बार इसका समय भी बढ़ाया गया और अब ड्राफ्टिंग कमिटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के विजन "एक भारत-श्रेष्ठ भारत" को साकार करते हुए राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित रहे हैं और आज हम UCC के माध्यम से इस संकल्प को सिद्धि की ओर ले जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट कमेटी द्वारा रिपोर्ट मिलने पर उनका आभार जताया और प्रदेशवासियों को भरोसा दिलाया है कि सरकार जल्द से जल्द एक मजबूत समान नागरिक संहिता कानून लागू करेगी. जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के अध्यक्षता में कमेटी में जस्टिस प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्यसचिव शत्रुघ्न सिंह, समाजसेवी मनु गौर और दून विश्वविद्यालय कुलपति सुलेखा डंगवाल को शामिल किया गया था.

किन सुझावों को ड्राफ्ट में किया गया शामिल 

समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए दो लाख लोगों की प्रतिक्रिया और सुझाव लिए गए हैं. ड्राफ्ट में प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने, शादी का रजिस्ट्रेशन ना होने पर सरकारी सुविधाएं न देने, पति-पत्नी दोनों के पास तलाक के सामान अधिकार देने, बहुविवाह पर रोक, लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण जैसी कई बातों पर लोगों ने अपने सुझाव दिए और इसी के आधार पर ड्राफ्ट तैयार किया गया है. सीएम धामी ने UCC को लेकर एक प्रेसवार्ता में कहा कि प्रदेश के 43 स्थान पर संवाद किया कमेटी ने ,कमेटी में बहुत विद्वानों ने काम किया है, 740 पेज के 4 वॉल्यूम में ड्राफ्ट मिला है, जिसके बाद 5 फ़रवरी को विशेष सत्र होने जा रहा है, 

सूत्रों के मुताबिक, UCC ड्राफ्ट में बहुविवाह से लेकर लिव-इन रिलेशनशिप तक के लिए कानून बनाया गया है. आइये जानते हैं कि ड्राफ्ट में क्या-क्या प्रावधान हो सकते हैं - 

- कमेटी की रिपोर्ट में लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित

- पुरुष और महिला को तलाक़ देने के समान अधिकार दिए गए

- महिला के दोबारा विवाह करने पर किसी प्रकार की शर्त नहीं होगी

- क़ानून लागू होने के बाद हलाला जैसा प्रकरण सामने आने पर तीन साल सजा और एक लाख जुर्माना 

- पति-पत्नी के जीवित होने की दशा में दूसरा विवाह प्रबंधित हुआ

- विवाह ही नहीं बल्कि तलाक़ का पंजीकरण अनिवार्य किया गया 

- पति-पत्नी के तलाक़ या घरेलू झगड़े के दौरान पाँच साल तक के बच्चे की कस्टडी माँ को मिलेगी

- सभी वर्गों के लिए पुत्र-पुत्री को संपत्ति में समान अधिकार 

- संपत्ति के अधिकार में जायज़ और नाजायज़ बच्चों को समान अधिकार 

- महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी संपत्ति के अधिकार में संरक्षण दिया गया है

- लिव इन का पंजीकरण रजिस्टर्ड वेब पोर्टल पर अनिवार्य होगा

- रजिस्ट्रेशन पर रसीद मिलेगी, रसीद के बग़ैर किराए का घर मिल सकेगा

- रजिस्ट्रेशन कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार संबंधित युगल के माता-पिता को देगा

- पंजीकरण न कराने पर छह माह की सजा या 25 हज़ार जुर्माना 

- यूसीसी में गोद लेने के लिए किसी प्रकार का कोई क़ानून नहीं बनाया गया है

-लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें. 

-विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा. बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा. ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी. 

-पति-पत्नी दोनो को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे. तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा. फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग ग्राउंड हैं. 

-पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी. 

-उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा. अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक.

 -नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी. अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा. 

-मेंटेनेंस- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर.

-एडॉप्शन--सभी को मिलेगा Adoption का अधिकार. मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी. 

-हलाला और इद्दत पर रोक होगी. 

-लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा. ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट होगा.

-गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा. 

-पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है.

 -जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है.