रामलला की ससुराल से आए हजारों उपहार, जानें उनमें क्या-क्या?
Before the establishment of Ram Mandir, special gifts were brought for Lord Ram from Janakpur. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान से पहले जनकपुर से भगवान राम के लिए लाए विषेश उपहार.
पंडाल सज चुके हैं. तैयारियां जोरों पर हैं. निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं. भगवान रामलला अपने मंदिर में एक बार फिर अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. 22 जनवरी को पूरा देश राममय होने वाला है. लेकिन, उससे ठीक पहले भारतीय संस्कृति की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली है. कहते हैं कि, जब भी बेटी के ससुराल में कुछ अच्छा होता है तो. उसके मायके से सौगात भेजी जाती है. कुछ ऐसा ही काम नेपालवासी भी कर रहे हैं. राम लला की ससुराल जनकपुर से विशेष उपहार अयोध्या आए हैं.
दरअसल, नेपाल में परंपरा है कि बेटी का घर गृहस्थी बसाने के लिए मायके से नेग भेजा जाता है...जिसे भार कहते हैं. उसी परंपरा के तहत ये भार लेकर आए हैं. दामाद जी श्रीराम लंबे समय तक टेंट में रहे. अब उन्हें नया महल मिल रहा है. जनकपुरवासी भावविभोर हैं. दामाद और बेटी के नए महल के उद्घाटन की खुशी में उपहार लाए हैं.
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन सर्दी में है. ऐसे में जनकपुरवासियों ने दामाद जी के लिए उपहार के तौर पर कोट और ब्लेजर भी भेजा है. पीली धोती और कुर्ता के साथ गमछा भी है. जनकपुर मंदिर के उत्तराधिकारी महंत रोशन दास ने बताया कि, लाल-पीले कपड़ों से सजी डलियों में कई तरह के आभूषण, 10-10 किलो मेवा, 20-20 किलो मिठाइयां, मालपुआ और अन्य पकवान लाए गए हैं. मौसमी फलों से भरी 100 से ज्यादा डलियां हैं. बेटी सीता के लिए पीली धोती, लाल चुनरी, श्रृंगार का सामान और सुहाग की सामग्री भी आई है.
इसके अलावा सोने-चांदी के बर्तन, धनुष-तीर, श्रृंगार का सामान, किचन का सामान गैस चूल्हा, सिलेंडर, बरतन आदि, खाद्य सामग्रियों में चावल, चूड़ा, खाजा, लड्डू, तिल के लड्डू, जानकी जी के चांदी के पदचिह्न समेत 5000 उपहार शामिल हैं.
माता जानकी की जन्मस्थली जनकपुर से दामाद श्रीराम के लिए उपहार लेकर आए जनकपुरवासियों ने शनिवार को सबसे पहले रामलला के दरबार में हाजिरी लगाई. इसके बाद जनकपुर के मेयर मोहन शाह और जानकी मंदिर जनकपुर के महंत रामतपेश्वर दास कुछ उपहार लेकर अयोध्या के महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी के आश्रम पहुंचे. वहां अयोध्या की परंपरा के अनुरूप पुष्पवर्षा कर जनकपुर वासियों का भव्य अभिनंदन किया गया. सदियों की परंपरा नए सिरे से मजबूत हो रही है. त्रेतायुग के बाद शायद ये पहला मौका है, जब नेपाल से इतनी मात्रा में रामलला के लिए उपहार आए हैं.