Tunnel Rescue: रैट माइनर्स की टीम ने कितनी ली फीस? हैरान रह जाओगे...

How much money did the rat miners take to rescue the laborers trapped in the tunnel of Uttarkashi? उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रैट माइनर्स ने कितने पैसे लिए हैं.

Tunnel Rescue: रैट माइनर्स की टीम ने कितनी ली फीस? हैरान रह जाओगे...

उत्तरकाशी (Uttarkashi) की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया था. अमेरिका से आई ऑगर मशीन से सुरंग में पाइप डाले जा रहे थे. लेकिन, आखिरी समय में ये मशीन धोखा दे गइ. मशीन के ब्लेज अंदर ही टूट गए थे. इसके बाद 'रैट होल खनन' तकनीक से लोगों को बाहर निकाला गया. इस तकनीक के तहत मैनुअली सुरंग में माइनिंग की गई.    

दरअसल, ‘रैट होल खनन’ तकनीक के विशेषज्ञ फिरोज कुरैशी और मोनू कुमार मलबे के आखिरी हिस्से को साफ कर उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों से मिलने वाले पहले व्यक्ति थे. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए गए 17 दिनों के व्यापक अभियान के बाद मंगलवार शाम को सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

दिल्ली निवासी कुरैशी और उत्तर प्रदेश के मोनू कुमार ‘रैट-होल खनन’ तकनीक विशेषज्ञों की 12 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे. जिन्हें रविवार को मलबे को साफ करने के दौरान अमेरिकी ‘ऑगर’ मशीन को समस्याओं का सामना करने के बाद खुदाई के लिए बुलाया गया था.

दिल्ली के खजूरी खास के रहने वाले कुरैशी ने बताया, 'जब हम मलबे के आखिरी हिस्से तक पहुंचे तो वे (मजदूर) हमें सुन सकते थे. मलबा हटाने के तुरंत बाद हम दूसरी तरफ उतर गए. मजदूरों ने शुक्रिया अदा किया और मुझे गले लगा लिया. उन्होंने मुझे अपने कंधों पर भी उठा लिया. उन्हें मजदूरों से कहीं ज्यादा खुशी हो रही थी.'

कितने लिए पैसे? 

रैट होल माइनिंग करने वाली इस 12 सदस्य टीमों में से हसन ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा कि, 'हमने पहले ही कहा था कि, हम इस काम को 24 से 36 घंटों में खत्म कर देंगे. हुआ भी ऐसा ही. इस ऐतिहासित अभियान का हिस्सा बनने के लिए हमें खुशी हो रहा है. बचाव अभियान में शामिल होने के लिए हमने कोई पैसा नहीं लिया है.'