इंतजार हुआ खत्म.... घर आएंगे प्रभु श्रीराम, जाने लंबे संघर्ष की गाथा!

राम मंदिर की लड़ाई इतनी आसान नहीं थी, कई बलिदान और परिश्रम के बिना ये सब संभव नहीं था. The wait of years is over... Today Shri Ram will visit his 'home' Ayodhya. Ramlala's life will be consecrated today in the historical Ram temple of Ayodhya.

इंतजार हुआ खत्म.... घर आएंगे प्रभु श्रीराम, जाने लंबे संघर्ष की गाथा!

सालों का इंतजार हुआ खत्म... आज श्रीराम अपने ‘घर’ अयोध्या पधारेंगे. अयोध्या के ऐतिहासिक राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता कर समारोह के मुख्य यजमान की भूमिका निभाएंगे जिनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, RSS प्रमुख मोहन भागवत, गवर्नर आनंदीबेन पटेल और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी यजमान होंगे. 

लेकिन राम मंदिर की लड़ाई इतनी आसान नहीं थी, कई बलिदान और परिश्रम के बिना ये सब संभव नहीं था. पर क्या आप जानते है कि राम मंदिर की ये लड़ाई कब और कैसे शुरू हुई. तो आइए जानते है कब-क्या हुआ!

‘मंदिर ध्वस्त’ 

सरकारी दस्तावेजों में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1528 में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या के रामकोट में ‘राम के जन्मस्थान’ पर बने मंदिर को ध्वस्त कर दिया, क्योंकि उसे बाबरी मस्जिद बनाने के लिए रास्ता चाहिए था. 

ब्रिटिश भारत के दौरान विवाद

⦁ 1853 में जब भारत पर अंग्रेजों का राज था, तब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर पहली बार धार्मिक हिंसा हुई थी. अवध के नवाब वाजिद शाह राज में रह रहे निर्मोही हिंदू संप्रदाय ने दावा किया कि मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए बाबर के राज में हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. 

⦁ 6 साल बाद 1859 में अंग्रेजों ने साइट को 2 हिस्सों में बांटने के लिए बाड़ लगा दी. मुसलमानों को मस्जिद के भीतर प्रार्थना करने की अनुमति दी गई, जबकि बाहरी परिसर को इस्तेमाल करने का हक हिंदुओं को दे दिया. 

⦁ जनवरी 1885 में, महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद की जिला अदालत में याचिका डाली, जिसमें मस्जिद के बाहर स्थित एक ऊंचे मंच रामचबूतरे पर छतरी का निर्माण करने की मंजूरी मांगी गई, लेकिन यह याचिका खारिज हो गई. 

मस्जिद में राम मूर्तियां

भारत की आजादी के बाद 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति सामने आई. गोपाल सिंह विशारद नामक व्यक्ति ने देव पूजा करने के लिए फैजाबाद की अदालत में याचिका डाली जिसके विरोध में अयोध्या निवासी हाशिम अंसारी ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर करके राम मूर्तियों को हटाने की मांग की. याचिका में कहा गया कि पवित्र स्थल को मस्जिद ही रहने दिया जाए. विवाद को देखते हुए उस समय की सरकार ने इमारत को ताला लगा दिया, लेकिन हिंदू पुजारियों को पूजा करने की अनुमति दे दी. 

मुसलमानों ने वापस मांगी मस्जिद

1961 में मुसलमानों ने अपनी मस्जिद लौटाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद को बोर्ड की संपत्ति घोषित करते हुए फैजाबाद सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया. 

राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान

⦁ 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद पार्टी (VHP) के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई जिसके तहत भगवान राम के जन्मस्थान को मुस्लिमों से मुक्त कराने और उनके सम्मान में राम मंदिर का निर्माण करने की मुहिम चलाई गई. 

⦁ 1980 में हरि शंकर दुबे की याचिका पर अयोध्या के जिला न्यायाधीश ने विवादित मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश जारी किया, ताकि हिंदू वहां पूजा कर सकें लेकिन इसके विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई. 

VHP ने रखी नींव 

1989 में VHP ने बाबरी मस्जिद से सटी जमीन पर राम मंदिर बनाना शुरू किया VHP के पूर्व उपाध्यक्ष, न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल ने मस्जिद को दूसरी जगह ले जाने की मांग करते हुए केस दायर किया जिसके बाद फैजाबाद की अदालत ने इस मुद्दे पर दायर 4 मुकदमों को हाईकोर्ट को सौंप दिया. 

रथ यात्रा 

⦁ लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने 25 सितंबर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की जो कई गांवों और शहरों से गुजरी. प्रत्येक दिन लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 6 रैलियां की गई जिसमें संघ परिवार से जुड़े हजारों कार सेवक शामिल हुए. 

⦁ 23 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री VP सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया, क्योंकि उनकी रथयात्रा उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पार कर गई थी. 

ध्वस्त हुई मस्जिद 

6 दिसंबर 1992 को शिव सेना, VHP और भाजपा नेताओं की मौजूदगी में कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया जिस कारण मस्जिद के विनाश से पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़के. 

गोधरा ट्रेन अग्निकांड

2002 में अयोध्या से कारसेवकों को गुजरात ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को गोधरा स्टेशन के पास जला दिया गया जिसके कारण गुजरात में दंगे हुए. 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भूमि हुई विभाजित 

⦁ 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने विवादित स्थल का सर्वेक्षण किया. 

⦁ 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाद से जुड़ी 4 याचिकाओं पर फैसला सुनाया और विवादित भूमि को 3 भागों में विभाजित किया जिसमें से एक तिहाई भूमि रामलला को आवंटित किया, जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा द्वारा किया जाता है. इस्लामिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई और बाकी तीसरा निर्मोही अखाड़े को दिया गया. 

⦁ दिसंबर 2010 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को 3 हिस्सों में बांटने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. 

जमीन सौंप बनाया ट्रस्ट 

⦁ 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार को एक ट्रस्ट बनाकर सौंपने का आदेश दिया. 

⦁ वहीं अदालत ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक अलग स्थान पर वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया. 

⦁ राम मंदिर निर्माण के लिए 15 सदस्यों का एक ट्रस्ट बनाया गया जिसका नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र रखा गया. 

शिलान्यास समारोह

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण कार्य की आधारशिला रखी जिसमें उन्होंने एक पट्टिका का अनावरण भी किया और एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया. 

रामलला प्राण प्रतिष्ठा

22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे है.