कतर की कैद से कैसै छूटेंगे 8 भारतीय पूर्व सैनिक, जानें कानूनी-कूटनीतिक रास्ते
Know how the Indian government can save eight Indians who were sentenced to death in Qatar. जानें कतर में फांसी की सजा पाने वाले आठ भारतीयों को भारत सरकार कैसे बचा सकती है.
इस्लामिक देश कतर में भारत के 8 पूर्व सैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई है. इन आठों लोगों पर जासूसी करने का आरोप है. कतर की कोर्ट ने माना है कि, ये लोग उनके देश की रक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारी इजरायल को दे रहे थे. हालांकि, अभी तक इसको लेकर कतर ने भारत को कोई पुख्ता सबूत या जानकारी नहीं दिए हैं. इस खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी है. ऐसे में भारत सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है कि वह किस तरह आठों भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है.
कतर की कोर्ट के फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय हैरान है और कहा है कि भारतीयों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए कानूनी रास्ते तलाशे जा रहे हैं. कानून के जानकारों की मानें तो सरकार के पास अभी भी कई रास्ते हैं, जिसके जरिए वह अपने नागरिकों को सजा से बचा सकती है.
कानून के जानकारों की माने तो, अपने नागरिकों को सजा से बचाने के लिए सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की मदद ले सकती है. या फिर कतर पर राजकीय दबाव बनाकर नागरिकों को फांसी से बचाया जा सकता है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की मदद का भी विकल्प है. आइए जान लेते हैं कि सरकार के पास अभी कौन-कौन से कानूनी रास्ते हैं?
भारत सरकार के पास पहला रास्ता है कि, वह कतर की ऊपरी अदालत में फांसी की सजा के खिलाफ अपील कर सकती है. अगर मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या फिर अपील नहीं सुनी जाती है तो भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख कर सकती है. क्योंकि, अंतरराष्ट्रीय कानून और इंटरनेशनल कॉन्वेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) के प्रावधान कहते हैं कि, आमतौर पर कुछ मामलों को छोड़कर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है.
दूसरा, भारत अपने नागरिकों को सजा से बचाने के लिए राजनयिक स्तर पर भी दबाव बना सकता है. इन सबके अलावा, भारत सरकार के पास संयुक्त राष्ट्र के पास जाने का भी विकल्प है. एनजीओ और सिविल सोसाइटी भी वैश्विक स्तर पर मुद्दे को उठा सकते हैं.
कौन हैं सजा पाने वाले 8 भारतीय?
कतर में मौत की सजा पाने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों के नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश. ये सभी डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर ऑर्गनाइजेशन- दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे. इस निजी फर्म का स्वामित्व रॉयल ओमानी एयर फोर्स के एक रिटायर्ड सदस्य के पास है. यह प्राइवेट फर्म कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराती थी.