क्या है सूरत डायमंड बोर्स? जानें, इसकी खासियत और फायदे

Know what is the specialty of Diamond Bourse Building built in Surat and what will happen from it. जानें सूरत में बनी डायमंड बोर्स बिल्डिंग की खासियत क्या है और इससे क्या होगा.

क्या है सूरत डायमंड बोर्स? जानें, इसकी खासियत और फायदे

अब तक दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग अमेरिका में थी. नाम था 'पेंटागन'. लेकिन, अमेरिका से ये खिताब अब भारत ने छीन लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी, 17 दिसंबर को गुजरात में बनी सूरत डायमंड बोर्स बिल्डिंग का इनॉगरेशन किया. इसे हीरा व्यापार केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. साथ ही सूरत डायमंड बोर्स एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जिसे कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत बनाया गया है. ऐसे में जानते हैं इस बिल्डिंग की खासियत और इसके बनने से क्या फर्क पड़ने वाला है?

तो बता दें कि, सूरत में बने इस मेगास्ट्रक्चर में 9 ग्राउंड टावर और 15 मंजिल हैं. नौ रेक्टेंगुलर टावर एक सेंट्रल स्पाइन से जुड़े हुए हैं. इसमें 300 वर्ग फीट से 1 लाख वर्ग फीट तक के 4,500 से ज्यादा ऑफिस स्पेस हैं. ऑफिसेज के अलावा, डायमंड बोर्स कैंपस में सेफ डिपॉजिट वॉल्ट, कॉन्फ्रेंस हॉल, मल्टिपर्पज हॉल, रेस्तरां, बैंक, कस्टम्स क्लीयरेंस हाउसेज, कन्वेंशन सेंटर, एग्जिबिशन सेंटर्स, ट्रेनिंग सेंटर्स, एंटरटेनमेंट एरियाज और क्लब जैसी सुविधाएं हैं. 

इस बिल्डिंग को 3 हजार 500 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है. बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन फरवरी 2015 में शुरू हुआ था. सूरत डायमंड बोर्स को सूरत की डायमंड इंडस्ट्री ने मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग दोनों के लिए वन-स्टॉप हब के रूप में स्थापित किया है.  

इस साल अगस्त में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में इस बिल्डिंग का नाम दर्ज हुआ था. ये इमारत 35.54 एकड़ में फैली है. इसका बिल्ड अप एरिया 67 लाख वर्ग फीट है. जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि, अब तक दुनिया का सबसे बड़े ऑफिस कॉम्प्लेक्स का रिकॉर्ड अमेरिका के पेंटागन के नाम था. पेंटागन का बिल्ड अप एरिया 65 लाख वर्ग फीट है. इस बिल्डिंग को दिल्ली बेस्ड आर्किटेक्ट सोनाली और मनित रस्तोगी की फर्म मॉर्फोजेनेसिस ने डिजाइन किया है. 

ये तो हुई बिल्डिंग की बात....अब बताते हैं कि, इसे बनने के बाद आखिर क्या फर्क पड़ने वाला है?

दरअसल, सूरत को भारत में डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि, यहां दुनिया के 90 प्रतिशत डायमंड तराशे जाते हैं. ऐसे में इस इमारत को बनाने के पीछे का मकसद भारत में डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी के इंपोर्ट, एक्सपोर्ट और ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है. साथ ही डायमंड की मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड्रिंग करने वालों को अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना. इसके आलावा कटिंग, पॉलिशिंग और प्रोसेसिंग सहित डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी से जुड़े बिजनेस को बढ़ाना भी इसका लक्ष्य है. इससे भारत को दुनिया में एक मॉडर्न डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी मार्केट के रूप में विकसित करने में भी मदद मिलेगी. साथ ही करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. 

जाते-जाते आपको बता दें कि, पेंटागन अमेरिका के रक्षा विभाग का हेडक्वार्टर ऑफिस है. और अर्लिंगटन, वर्जीनिया में स्थित है. ये ऑफिस 80 साल से दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस की बिल्डिंग माना जाता था. मगर अब ऐसा नहीं रहेगा.