नमाज पढ़ने पर हुआ बवाल, गुजरात यूनिवर्सिटी में हुई विदेशी छात्रों के साथ मारपीट
अहमदाबाद की गुजरात यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के साथ मारपीट का एक मामला सामने आया है. A case of assault on foreign students has come to light in Ahmedabad's Gujarat University.
अहमदाबाद की गुजरात यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के साथ मारपीट का एक मामला सामने आया है. मामला इतना बढ़ गया कि गुजरात के गृह राज्य मंत्री को इसका संज्ञान लेना पड़ा और जांच अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के आदेश दे दिया गया. इस घटना के कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, जिसमें तोड़फोड़ और छात्रों पर हमले होते दिखा जा सकता है. घायस छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
नमाज पढ़ने पर हुआ विरोध
वहीं सोशल मीडिया पर कई लोग विदेशी छात्रों के पक्ष में दिखे और कई लोगों ने कहा कि इस तरह कॉलेज कैंपस में नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए. हालांकि घटना के कुछ देर बाद एक और वीडियो सामने आया, जिसमें पहले एक विदेशी छात्र ने खुले में नमाज का विरोध जताने वाले शख्स को थप्पड़ मारा. पीटे गए विदेशी छात्रों के नए हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है. साथ ही एक विदेशी छात्र सलाहकार समिति भी बनाई है.
यूनिवर्सिटी ने सुरक्षा एजेंसियों को हॉस्टल की सिक्योरिटी मजबूत करने का भी निर्देश दिया है. वहीं पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, 24 आरोपियों पर दंगे, तोड़फोड़ और भीड़ जमा करना के आरोप में FIR भी दर्ज कराई गई है, जिसके लिए 9 जांच टीमें भी बनाई गई है.
क्या कहते है विश्वविद्यालय की कुलपति
इस घटना में विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता का बयान सामने आया है, जिसमें हिंसा पर बात करते हुए उन्होने कहा कि कोई एक घटना इतनी बड़ी हिंसा की वजह नहीं हो सकती. ये किसी धर्म के बारे में नहीं है, संस्कृति के बारे में है. उदाहरण के लिए, वो मांस खाते हैं और गुजरात मुख्यतः एक शाकाहारी समाज है. उन्होंने कुछ खाया और बचा हुआ इधर-उधर फेंक दिया. तो ये एक मुद्दा बन सकता है. पब्लिक स्पेस सभी का है.
चूंकि ये विदेशी छात्र हैं, इसलिए लोगों की नज़र में जल्दी आ जाते हैं. इसलिए मेरा मानना है कि ये सिर्फ़ एक घटना के बारे में नहीं हो सकता. हम किसी के नमाज़ पढ़ने के प्रति इतने असंवेदनशील या असहिष्णु नहीं हैं. हमें उन्हें बेहतर तरीक़ों से प्रशिक्षित करना होगा और उन्हें स्थानीय समाज, रीति-रिवाजों और भावनाओं के बारे में बताना होगा, ताकि वे सुरक्षित रह सकें.
सामने आया गुजरात हाईकोर्ट का बयान
आपको बता दें कि गुजरात में शाकाहारियों की बड़ी संख्या है, हालांकि मांसाहार आम है लेकिन खुले में इस तरह फेंकना किसी को भी परेशान कर सकता है. वहीं इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट का भी बयान सामने आया है और कहा कि हाईकोर्ट में एक वकील ने मामले को स्वत: जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करने का अनुरोध किया यानी अदालत से मामले का स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया जिसमें कोर्ट ने कहा कि वे संवैधानिक अदालतें हैं जांच अधिकारी नहीं, इसलिए उन्हें जांच अधिकारी न बनाया जाए और पुलिस को ही मामले की जांच करने दिया जाए. शहर की हर घटना ऐसी नहीं होती, जिसमें जनहित याचिका दायर की जाए.