चुनाव से पहले शाह की बड़ी जीत, पूर्वोत्तर में कर दिया बड़ा कमाल

Peace agreement is going to be signed between the central government and ULFA organization. केंद्र सरकार और उल्फा संगठन के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहा है.

चुनाव से पहले शाह की बड़ी जीत, पूर्वोत्तर में कर दिया बड़ा कमाल

अमित शाह को राजनीति का चाणक्य क्यों कहते हैं? उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया. दिखा दिया है कि, देश के दुश्मनों को कैसे ठिकाने लगाया जाता है....उन्हें कैसे शांत किया जाता है. भारत सरकार और उल्फा संगठन के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं. यानी अमित शाह ने पूर्वोत्तर भारत में एक झटके में शांति ला दी है. अब पूर्वोत्तर भी बाकी भारत की तरह शांत होगा. अमित शाह ने क्या दांव चला है? और इसे भारत सरकार की बड़ी जीत क्यों माना जा रहा है? सब बताएंगे...लेकिन, पहले ये जान लीजिए कि, आखिर ये उल्फा संगठन है क्या? 

दरअसल, ULFA भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में एक्टिव एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन है. इसका गठन 1979 में 7 अप्रैल को परेश बरुआ ने अपने साथी अरबिंद राजखोवा, गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया, समीरन गोगोई उर्फ प्रदीप गोगोई और भद्रेश्वर गोहेन के साथ मिलकर किया था. इस संगठन को बनाने के पीछे सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाने का लक्ष्य था. उल्फा शुरू से ही विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है. साल 1990 में केंद्र सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया और फिर सैन्य अभियान शुरू किया.

साल 1991 में 31 दिसंबर को उल्फा कमांडर-इन-चीफ हीरक ज्योति महंल की मौत के बाद उल्फा के करीब 9 हजार सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया था. 2008 में उल्फा के नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश से गिरफ्तर कर लिया गया और फिर भारत को सौंप दिया था. इस दौरान जब राजखोवा ने शांति समझौते की बात की तो उल्फा दो हिस्सों में बंट गया. अब तक उल्फा ने कई बड़े वारदात को अंजाम दिया है. उल्फा के आतंक के चलते चाय व्यापारियों ने एक बार के लिए असम छोड़ दिया था.

बता दें कि, शांति समझौते का माहौल बनाने और उसके लिए संगठन को राजी करने के लिए लंबे समय से प्रयास हो रहे थे. इधर, बीते एक हफ्ते से इसको लेकर दिल्‍ली में संगठन और सरकार के बीच बातचीत हो रही थी. राजखोवा गुट के दो लीडर अनूप चेतिया और शशधर चौधरी नई दिल्‍ली में सरकारी वार्ताकारों के संपर्क में थे. दोनों पक्षों के बीच कई दौर की चर्चा हुई है. इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और पूर्वोत्तर मामलों पर सरकार के सलाहकार एके मिश्रा ने सरकार की तरफ से संगठन के नेताओं से चर्चा की थी. केंद्र सरकार की ये कोशिश अब रंग लाती दिख रही है. केंद्र सरकार शु्क्रवार को यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम के वार्ता समर्थक गुट के साथ ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेगी. समझौते के समय असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे.