खत्म होगा अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा? SC ने धो दिया !
The Supreme Court has made a big comment regarding the minority status of Aligarh Muslim University. अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.
करीब सौ साल पुराना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) अपने अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर अदालती लड़ाई लड़ रहा है. लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने उसके अल्पसंख्यक संस्थान होने के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अलिगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के पैरोकारों को कड़ी लताड़ लगाई है....उनसे ऐसे सवाल पूछे हैं...जिनका उनसे जवाब देते नहीं बना. सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक संस्थान होने के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है, वो बताएं...उससे पहले ये जान लीजिए कि, आखिर ये मामला क्या है?
तो बता दें कि, एनडीए सरकार ने साल 2016 में ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाया था कि...अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कोई अल्पसंख्याक संस्थान नहीं है. सरकार ने एस. अजीज बाशा केस में कोर्ट के 1967 के फैसले को आधार बनाकर ये दावा किया. उस केस में इस यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी माना गया था. सरकार ने कहा था कि, ये केंद्रीय यूनिवर्सिटी है. क्योंकि, इसे फंड सरकार से मिलता है. एएमयू कभी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता. क्योंकि, ये किसी विशेष मजहब या मजहबी संप्रदाय का विश्वविद्यालय नहीं है. इसे राष्ट्रीय महत्व वाला संस्थान घोषित किया गया है. वहीं, एएमयू का कहना है कि सिर्फ इसलिए कि संस्थान में सरकार की दखल है इसके कारण यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्ज नहीं छीना जा सकता.
अब इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 7 जजों की पीठ सुनवाई कर रही है. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपनी दलील दे रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में कहा है कि, विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि आजादी के पहले से भी. यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में हुई थी. जिस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व मिला है वो गैर अल्पसंख्यक ही होना चाहिए. लेकिन, राष्ट्रीय महत्व वाला संस्थान होने के बावजूद भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एडमिशन प्रोसिजर अलग हैं.
वहीं, दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मामले की पैरवी की. खंडपीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा है कि वह अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा साबित करे. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी से पूछा है, जब विश्वविद्यालय के 180 सदस्यों में 37 ही मुस्लिम हैं तो फिर ये संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान कैसे हुआ? सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल का मुस्लिम युनिवर्सिटी के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं था...साथ ही सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये को देखते हुए माना जा रहा है कि, जल्द ही अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से अल्पसंख्यक दर्जा छिन सकता है.