'जब तक हम जिंदा रहेंगें...', CAA पर फिर भड़के असदुद्दीन ओवैसी
Asaduddin Owaisi again gave a big statement on CAA and Babri Masjid. सीएए और बाबरी मस्जिद पर असदुद्दीन ओवैसी ने फिर दिया बड़ा बयान.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. अटकलें हैं कि, केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू कर सकती है. इसी बीच सीएए को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है. ओवैसी ने कहा कि, 'सीएए संविधान विरोधी है और यह कानून का उल्लंघन करता है. सीएए धर्म के आधार पर बना है.'
एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने कहा कि, 'मोदी सरकार को बताना चाहिए कि...उनकी इस देश को लेकर क्या पॉलिसी है?' साथ ही इस दौरान ओवैसी ने बाबरी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'जब तक हम जिंदा रहेंगें 6 दिसंबर की बात करेंगें. उनकी गाड़ी पर हमला हुआ था. अब क्या हमें गोली मारेंगें. हम बोलते रहेंगे. 1955 में मथुरा के इदगाह को लेकर समझौता हुआ था. 6 दिसंबर को मस्जिद को शहीद किया गया.'
'सीएए को एनपीआर-एनआरसी के साथ समझने की जरूरत'
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'सीएए को एनपीआर-एनआरसी के साथ पढ़ा और समझा जाना चाहिए. जो इस देश में आपकी नागरिकता साबित करने की शर्तें रखेगा. यदि ऐसा होता है तो यह बड़ा अन्याय होगा, खासकर मुसलमानों, दलितों और देश की गरीब जनता के साथ, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म से संबंध क्यूं ना रखते हों.'
बाबरी ढांचा गिराने पर देवेंद्र फडणवीस ने कही ये बात
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में बाबरी 1992 में गिराए गए बाबरी ढांचे पर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि, '6 दिसंबर 1992 को जब 'कार सेवकों' ने बाबरी ढांचा गिराया था. तब वहां मौजूद रहकर उन्हें गर्व और खुशी महसूस हुआ.' देवेंद्र फडणवीस के इसी बयान पर अब ओवैसी ने पलटवार किया है.
ओवैसी ने कहा, 'इस तरह के बयान से देश में अराजकता फैलायी जा रही है. संविधान के पद पर बैठकर आप बकवास कर रहे हैं. अगर हिम्मत रखते हैं तो आप कोर्ट में जाकर कहना चाहिए था कि, बाबरी मस्जिद को आपने तोड़ा था. सभी धर्म और जाति के लिए आपका नजरिया सभी के लिए एक होना चाहिए. एक धर्म सम्प्रदाय के लिए इस तरह की बातें एक संवैधानिक पद पर रहकर नहीं करनी चाहिए.'
एआईएमआईएम चीफ आगे कहते हैं, 'बाबरी मस्जिद को लेकर शिवसेना को कोर्ट में बुलाना चाहिये था. जबरन ताला तोड़ा गया है. 200 साल पुरानी दरगाह को भी बदलने की कोशिश की जा रही है. संघ परिवार के लोग इस तरह की कोशिश कर रहे हैं. पीएम को 1991 के एक्ट को मानना चाहिए.'