1 हफ्ते पहले हुए थे शामिल, क्यों BSP सुप्रीमो मायावती ने इस उम्मीदवार को पार्टी से किया निष्कासित?
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के फैसले पर अपने लोकसभा चुनाव उम्मीदवार को पार्टी से निकाल दिया है. Bahujan Samaj Party (BSP) has expelled its Lok Sabha election candidate from the party on the decision of party supremo Mayawati.
लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, 19 अप्रैल से 01 जून के बीच कुल सात चरणों में देश की 543 सीटों पर मतदान किए जाएंगे, जिसके परिणाम 4 जून को सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव 2024 में 102 सीटों की पहले फेज की वोटिंग कल से शुरु हो जाएगी.
पहले फेज की वोटिंग कल से शुरु हो रही है, लेकिन ऐसे में अभी भी पार्टी में उठापटक देखने को मिल रही है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के फैसले पर अपने लोकसभा चुनाव उम्मीदवार को पार्टी से निकाल दिया है.
अनुशासनहीनता का लगा आरोप
झांसी के उम्मीदवार प्रत्याशी राकेश कुशवाहा के खिलाफ कार्यवाही कर अनुशासनहीनता का आरोप लगा कर उनको पार्टी से निष्कासित करते हुए उनका चुनाव टिकट भी काट दिया गया है. चौंकाने वाली बात ये है कि एक हफ्ता पहले ही पार्टी ने राकेश कुशवाहा को उम्मीदवार घोषित किया था.
1. देश में 18वीं लोकसभा हेतु सात चरणों में हो रहे आमचुनाव में कल मतदान के पहले चरण से ही, ’पहले मतदान, फिर जलपान’ के संकल्प के साथ अपने वोट के बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार का निर्भय होकर इस्तेमाल करके देश में ग़रीबों, मेहनतकशों, वंचितों की बहुजन-हितैषी सरकार चुनें, यही पुरज़ोर अपील।
— Mayawati (@Mayawati) April 18, 2024
एक्शन के बाद बदलाव
BSP की तरफ से एक लेटर जारी करके इस एक्शन की जानकारी दी गई है, जिसके अनुसार जिलाध्यक्ष जयपाल अहिरवार को हटा दिया गया है. बीके गौतम अब नए जिलाध्यक्ष होंगे. कैलाश पाल को ललितपुर का जिला प्रभारी नियुक्त किया गया है. यह बदलाव गुटबाजी की खबरों के चलते किया गया है.
क्यों किया गया निष्कासित?
BSP के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष ने उनके खिलाफ एक्शन इसलिए लिया, क्योंकि राकेश कुशवाहा ने गलती जानकारी पार्टी को दी थी. राकेश कुशवाहा ने टिकट लेने के लिए दावा किया कि वे पार्टी के पुराने सदस्य हैं, इसलिए उन्हें उनका अनुभव देखते हुए चुनाव लड़ने का मौका दिया जाना चाहिए, लेकिन टिकट देने के बाद भी राकेश कुशवाहा ने चुनाव प्रचार में रुचि नहीं दिखाई. जांच पड़ताल करने पर पता चला कि वे बसपा नहीं सपा के सदस्य रह चुके हैं. इससे नाराज होकर पार्टी सुप्रीमो ने फैसला लिया और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.