गुरनाम सिंह चढूनी ने केंद्र सरकार के सामने रखी ये शर्त, नहीं मानी शर्त तो होगा....
शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी केंद्र सरकार के सामने शर्तें रखते हुए हरियाणा में आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है. Amidst the ongoing farmers' movement at the Shambhu border, farmer leader Gurnam Singh Chaduni has also announced to start the movement in Haryana by placing conditions before the Central Government.
शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी केंद्र सरकार के सामने शर्तें रखते हुए हरियाणा में आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास 21 फरवरी तक का समय है. अगर उस समय तक तिलहन और बाजरा को खरीद में शामिल नहीं करते हैं, तो हरियाणा भी शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने दालों, मक्का और कपास को पांच साल के लिए अनुबंध पर एमएसपी पर खरीदने की बात कही है, उसमें तिलहन और बाजरा को भी शामिल करना चाहिए.
दरअसल, रविवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच चंडीगढ़ में काफी लंबे समय तक बैठक चली थी. इस बैठक से बाहर निकलने के बाद मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि तीन केंद्रीय मंत्रियों के एक पैनल ने किसानों के साथ समझौता करने के बाद पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों द्वारा दाल, मक्का और कपास की फसल खरीदने का प्रस्ताव दिया है.
#WATCH | Kurukshetra, Haryana | Farmer leader Gurnam Singh Charuni says, "There is time until 21st February. The government should think and understand that these two things (Oilseeds and Bajra) are very important (for procurement). Just like they mentioned pulses, maize and… pic.twitter.com/0VDvTUDqZM
— ANI (@ANI) February 19, 2024
पोर्टल विकसित किया जाएगा
उन्होंने कहा था कि NCCF (राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ) और NAFED (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ अनुबंध करेंगी जो 'अरहर दाल', 'उड़द दाल', 'मसूर दाल' या मक्का उगाते हैं. अगले पांच वर्षों तक उनकी फसल एमएसपी पर खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा कि मात्रा (खरीदी) पर कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया जाएगा.
किसान संगठनों का क्या है प्लान
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें रविवार की बैठक में पांच फसलों पर पांच साल के लिए एमएसपी पर खरीद की बात कही गई थी. किसान संगठनों और सरकार के बीच रविवार की बैठक में किसानों को यह प्रस्ताव दिया गया था कि सरकार पांच साल के लिए पांच प्रमुख फसलों की खरीद एमएसपी पर करेगी. इसके बाद किसान संगठनों ने 21 फरवरी को 11 बजे तक आंदोलन रोकने की बात कही थी.
लेकिन अब एसकेएम ने साफ कर दिया कि एमएसपी के गारंटी कानून से कम उसे कुछ भी नहीं चाहिए. इस तरह एसकेएम ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. एसकेएम ने कहा है कि 21 और 22 फरवरी को होने वाली एनसीसी और एसकेएम की आमसभा में स्थिति का जायजा लिया जाएगा और सभी मांगें पूरी होने तक संघर्ष को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी.