देश को फिर किया गौरवान्वित, ISRO ने हासिल की एक और उपलब्धि

ISRO के PSLV ने अपना शून्य कक्षीय मलबा मिशन मिशन पूरा कर लिया है यानी की इसरो द्वारा लांच किए गए रॉकेट से अब मलबा स्पेस में नहीं बिखरेगा. ISRO's PSLV has completed its zero orbital debris mission, that is, the rocket launched by ISRO will no longer scatter debris in space.

देश को फिर किया गौरवान्वित, ISRO ने हासिल की एक और उपलब्धि

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने एक बार फिर देश का कद अंतराष्ट्रीय स्तर पर और ऊंचा कर दिया है. साल 2023 के चंद्रयान मिशन की पूर्ण सफलता के बाद इसरो लगातार नए मिशंस को लांच कर रहा है गगनयान, समुद्रयान, आदित्य L 1 जैसे तमाम मिशंस को इसरो ने लांच किया है. 

चंद्रयान 3 की सफलता के बाद पूरे देश में भारत का डंका बजा, दुनिया भर में भारत की सफलता की वाहवाही हुई और अब एक बार फिर ISRO ने ऐसा कमाल किया कि उनकी उपलब्धियों के इस क्रम में यह कदम एक और मील का पत्थर है.  

ISRO का नया कमाल 

दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के PSLV ने अपना शून्य कक्षीय मलबा मिशन मिशन पूरा कर लिया है यानी की इसरो द्वारा लांच किए गए रॉकेट से अब मलबा स्पेस में नहीं बिखरेगा. उनके अनुसार PSLV C58 या एक्सपोसैट मिशन ने व्यावहारिक रूप से कक्षा में शून्य मलबा छोड़ा है. सभी उपग्रहों को उनकी वांछित कक्षाओं में स्थापित करने के प्राथमिक मिशन को पूरा करने के बाद, PSLV के टर्मिनल चरण को 3-अक्ष स्थिर मंच, पीओईएम-3 में बदल दिया गया है.  

'POEM 3' नाम दिया गया 

बता दें कि ISRO ने यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल की है जब अंतरिक्ष में सैटेलाइट का मलबा एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. उनके अनुसार, सैटेलाइट को वंचित कक्षा में पहुंचाने के अपने लक्ष्य के बाद, PSLV तीन भागो में बट जाता है और इसीलिए इसे POEM 3 नाम दिया गया है, इसके पहले चरण में, PSLV को 650 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कोशा से 350 KM वाली कक्षा में लाया गया. इससे PSLV को शीघ्र कक्षा में पहुंचने अवसर मिल गया और कक्षा में जल्दी प्रवेश हो गया. इससे कक्षा परिवर्तन के दौरान एक्सिडेंट का खतरा कम हो गया. 

क्या है खासियत? 

POEM 3 की इस सैटेलाइट में कई तरह के प्रायोगिक पेलोड लगाए गए है, जिससे कई तरह के वैज्ञानिक प्रयोग किए जाने है. इनमे से 6 पेलोड को गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा दिया गया है. इस सैटेलाइट में इस्तेमाल होने वाले इन पेलोड्स को एक महीने के अंदर तैयार किया गया था और अब इस सैटेलाइट ने बड़ी सफलता इसरो के नाम लिख दी है. 

हाल ही में ISRO की रियूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक का सफल परीक्षण किया गया था, जिसे पुष्पक नाम दिया था और अब इसरो की इस नयी सफलता की गूँज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है.