जानें क्या है नागर शैली? जिसके अनुसार बन रहा है राम मंदिर

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जानें क्या है नागर शैली? जिसके अनुसार बन रहा है राम मंदिर

रामलला का भव्य और ऐतिहासिक मंदिर अयोध्या में बन रहा है. इसकी प्राण-प्रतिष्ठा की तगड़ी तैयारी चल रही है. बीच-बीच में मंदिर की तस्वीरें सामने आ जाती हैं जो दुनियाभर के राम भक्तों को रोमांचित कर देती हैं. यह मंदिर अपने आप में एक तरह का अजूबा होगा. राम मंदिर में नागर वास्तुकला की झलक दिख रही है. ऐसे में लोगों में सवाल है कि, आखिर ये नागर शैली क्या है?  आइए नागर शैली से जुड़े कई सवालों के जवाब ढूंढने हैं.

असल में नागर शैली भारत में ही विकसित हुई है. नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है. 'नागर' शब्द की उत्पत्ति नगर से हुई है. यह शैली हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक दिख जाती है. नागर शैली के मंदिरों की विशेष पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च यानि कि ऊपर से लेकर नीचे तक चतुष्कोण होती है. नागर शैली से बने मंदिरों मंदिर में गर्भगृह, मंडप और अर्द्धमंडप होते हैं. अयोध्या राम मंदिर की शुरुआती तस्वीरों में कमोबेश यही ढांचा दिखा है. इस शैली में बने मंदिरों को ओडिशा में ‘कलिंग’, गुजरात में ‘लाट’ और हिमालयी क्षेत्र में ‘पर्वतीय’ कहा जाता है.

परमार शासकों ने नागर शैली को फलने फूलने में काफी योगदान दिया है. यह शैली उत्तर भारत में सातवीं शताब्दी के बाद विकसित हुई है. इसके बाद परमार शासकों ने वास्तुकला के क्षेत्र में नागर शैली को प्रधानता देते हुए उत्तर भारत में नागर शैली के मंदिर बनवाए. नागर शैली का क्षेत्र उत्तर भारत में नर्मदा नदी के उत्तरी क्षेत्र तक है. हालांकि यह कहीं-कहीं अपनी सीमाओं से आगे भी विस्तारित है. मसलन खजुराहो, सोमनाथ, आबू पर्वत राजस्थान के अलावा इस शैली में लिंगराज मंदिर ओडिशा और कोणार्क ओडिशा भी शामिल हैं. 

उत्तर भारत में सातवीं शताब्दी के बाद यह वास्तुकला सामने आई लेकिन बाद में भारत की अन्य जगहों पर भी इस शैली के मंदिर बनवाए गए. यहां एक बात यह जान लेना जरूरी है कि नागर शैली के मंदिरों में चार कक्ष होते हैं, गर्भगृह, जगमोहन, नाट्यमंदिर और भोगमंदिर. पहले की नागर शैली के मंदिरों में स्तम्भ नहीं होते थे. लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव भी हुआ है. बनावट में भी बदलाव देखने को मिले. इस शैली के मंदिर मुख्यतः मध्य भारत में पाए जाते हैं. कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो, लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर, जगन्नाथ मंदिर पुरी, कोणार्क का सूर्य मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, खजुराहो के मंदिर शामिल हैं. इनके अलावा दिलवाडा के मंदिर और सोमनाथ शामिल है.