TMC को मिला एक और झटका, संदेशखाली मामले में SC ने स्थगित की सुनवाई की तारीख
सोमवार 29 अप्रैल को संदेशखाली मामले में SC ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई कर इसे जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है. On Monday, April 29, the SC heard the petition of the West Bengal government in the Sandeshkhali case and adjourned it till July.
सोमवार 29 अप्रैल को संदेशखाली मामले में SC ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई कर इसे जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है.
राज्य के खिलाफ की गई थी टिप्पणियां
दरअसल, पूर्व TMC नेता शाहजहां शेख, संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन पर कब्जा करने के मामले में मुख्य आरोपी पाए गए हैं. राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, क्योंकि राज्य के खिलाफ टिप्पणियां की गई थीं. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार ने SC के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के 10 अप्रैल के आदेश ने पुलिस बल सहित 'पूरी राज्य मशीनरी को हतोत्साहित कर दिया'.
राज्य पुलिस की शक्तियों को हड़पने की कोशिश
इसके साथ ही याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि HC ने एक बहुत ही सामान्य आदेश में राज्य को बिना किसी दिशानिर्देश के CBI को जरूरी सहायता देने का निर्देश दिया, जो संदेशखाली इलाके में किसी भी अपराध की जांच करने के लिए राज्य पुलिस की शक्तियों को हड़पने के जैसा है. भले ही वह जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित न हो.
SC ने पश्चिम बंगाल सरकार से किया सवाल
इस पूरे मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि कोई राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकता है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने CBI जांच का निर्देश देने वाले HC के आदेश पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया और पूछा, 'राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय से कैसे संपर्क कर सकती है?'
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अगर सिर्फ उससे नाराजगी है तो राज्य उन टिप्पणियों को हाई कोर्ट के रिकॉर्ड से हटाने की मांग भी कर सकता हैं, जिसकी सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद दोबारा शुरू होगी.
पहले भी मिला TMC को
इससे पहले भी संदेशखाली मामले में TMC को झटका देते हुए 5 जनवरी को ED और CRPF की टीम पर हुए हमले की हो रही CBI जांच के खिलाफ याचिका को भी खारिज कर दिया था. वहीं CBI जांच के आदेश के बाद SIT की टीम बनाकर जांच तेजी से चल रहा था. इसके बाद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख कर लिया और जांच को रोकने के लिए याचिका दायर कर दी.