जानें बिहार के 'पलटू राम' की सियासी हाल का खेल

बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ती ही जा रही है JDU and RJD coalition government was running in the state for 18 months.

जानें बिहार के 'पलटू राम' की सियासी हाल का खेल

बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ती ही जा रही है. इस समय पूरे देशभर की नजर बिहार की सियासी भूचाल पर बनी हुई है. बीते 18 महीने से राज्य में जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार चल रही थी लेकिन आखिर इतने कम समय में ही दोनों अलग हो गए, आखिर दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार में नई सरकार बनाने के लिए राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. जहां छोटे दलों के नेताओं की बैठक चल रही है तो वहीं जेडीयू और आरजेडी के नेता एक दूसरे को निशाने पर ले रहे हैं.

नीतीश कुमार राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी हैं. वे केंद्र सरकार में मंत्री और कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नीतीश लंबे समय तक सांसद और विधायक चुने जाते रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि बिहार की राजनीति में उनके जैसा और उनके बराबर का कोई नेता नहीं है. उनकी सबसे बड़ी खासियत सही सियासी समय का अनुमान लगाना है, शायद ये इसी वजह है कि कम विधायक होने के बावजूद भी वे राज्य की दोनों बड़ी पार्टियों के साथ सरकार बनाने पर सीएम ही बनते हैं. 

बचपन से ही राजनीति में लिया भाग 

कभी अपने सुशासन के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार आज बार-बार गठबंधन बदलने की वजह से 'पलटू राम' के नाम से जाने जा रहे हैं. वे पार्टी में भी कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं, नीतीश ने बिहार की छोटी सी जगह बख्तियारपुर के बहुत साधारण परिवार से निकलकर राजनीति में अपनी अलग ही पहचान बनाई है. उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया था, जिस वजह से उन्हें मुन्ना कहकर बुलाया जाता था. 

1986 से राजनीति में रखा कदम 

साल 1986 में नीतीश बिहार विधानसभा में याचिका समिति के सदस्य बनाए गए थे, जिसके बाद 1987 में वे सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य बने. 1989 में वे जनता दल बिहार के महासचिव बने और इसी साल वे बिहार लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. 1990 में वे केद्र सरकार में मंत्री बने, 1991 में जनता दल के महासचिव बने, 1996 में भी वे लोकसभा सांसद चुने गए, 1999 में बिहार सीट से फिर से लोकसभा सांसद चुने गए. 

साल 2000 में उन्होंने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2001 में रेल मंत्री बने. 2004 में फिर से नालंदा सीट से लोकसभा सांसद चुने गए. साल 2005 में फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने और 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। 2010 में फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन 4 साल बाद इस्तीफा दे दिया. इस क्रम में देखें तो नीतीश अभी तक कुल 8 बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं और अब वर्तमान समय में वे 9वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे.