PoK में दखल दे रहा था ब्रिटेन, भारतीय विदेश मंत्रालय ने लताड़ दिया !
Indian Foreign Ministry expressed objection to British Ambassador's interference in PoK. ब्रिटिश राजदूत की पीओके में दखल देने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने जताई आपत्ति.
पाकिस्तान के नापाक इरादों से पूरी दुनिया वाकिफ है....आतंकिस्तान वैश्विक मंच पर कश्मीर का राग अलापता आया है...घाटी को अशांत करने की कोशिश करता रहता है...वो कश्मीर पर अपना कब्जा जमाना चाहता है...आजादी के बाद उसमें कुछ हद तक कामयाब भी हुआ....और पीओके ले गया. लेकिन, वो दिन दूर नहीं...जब कश्मीर के सभी पाक प्रेमियों को खदेड़ दिया जाएगा...साथ ही वापस लिया जाएगा पीओके....पाकिस्तान अधिकृत वो कश्मीर जो कभी भारत का हिस्सा था...वहीं, अब भारत अपना रुख साफ कर चुका है कि किसी भी कीमत पर अपनी-अपनी एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी...जो बीच में आएगा...उसे ठिकाने लगा दिया जाएगा...बीच में आने की एक ऐसी ही गलती अब ब्रिटेन ने कर दी है...जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अंग्रेजों को कड़ी लताड़ लगाई है.
दरअसल, पाकिस्तान में ब्रिटेन की राजदूत जेन मेरियट ने 10 जनवरी को पीओके का दौरा किया था. इस दौरान मेरियट ने कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात भी की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने दौरों की तस्वीरें पोस्ट करते हुए मेरियट ने लिखा था, 'ब्रिटेन के दिल और पाकिस्तान के लोगों के बीच आपसी संबंधों के केंद्र मीरपुर से सलाम. 70 प्रतिशत ब्रिटिश पाकिस्तानी, मूल रूप से मीरपुर से ही हैं. हमारा मिलकर काम करना प्रवासी हितों के लिए महत्वपूर्ण है. खातिरदारी करने के लिए धन्यवाद.'
बस फिर क्या था....सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया...भारतीय लोग ब्रिटेन की राजदूत जेन मेरियट को खूब खरी खोटी सुनाने लगे...साथ ही याद दिलाने लगे कि, पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है...वहीं, अब इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का भी बयान सामने आ गया है....भारत ने जेन मेरियट के इस दौरे पर कड़ी आपत्ति जताई है.
भारत ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है. साथ ही इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता के उल्लंघन को अस्वीकार्य बताया है. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने इसपर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस को भी फटकार लगाई है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान जारी करते हुए कहा, '10 जनवरी 2024 को ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के साथ ब्रिटेन की राजदूत की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यात्रा को भारत ने गंभीरता से लिया है. जेन मेरियट का ये कदम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है, जो अस्वीकार्य है. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं और रहेंगे. विदेश सचिव ने इस पर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.'
बता दें कि, भारत शुरुआत से ही पीओके को अपना अभिन्न अंग बताता रहा है. साथ ही भारत अपनी अनुमति के बिना विदेशी अधिकारियों के इस क्षेत्र में जाने का लगातार विरोध करता है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि, क्या वाकई में ब्रिटिश उच्चायुक्त ने अपनी मर्जी से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से का दौरा किया, या फिर इस दौरे के पीछे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक सरकार की मंजूरी मिली थी? ऋषि सुनक खुद ब्रिटेन के इतिहास में पहले हिंदू प्रधानमंत्री है. वहीं, ये सब तब हुआ है जब भारत के रक्षामंत्री बिटेन के दौरे पर हैं. उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की है.