गर्भ गृह में जाएंगे सिर्फ 5 लोग, जानें क्या है BJP का मसकद?

Know what political message BJP wants to give by the entry of only five people in Ram Temple. जानें राम मंदिर सिर्फ पांच लोगों की एंट्री से क्या सियासी संदेश देना चाहती है बीजेपी.

गर्भ गृह में जाएंगे सिर्फ 5 लोग, जानें क्या है BJP का मसकद?

अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए रूपरेखा तय हो गई है. 22 जनवरी को मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राम मंदिर के गर्भ गृह में केवल पांच लोग ही मौजूद रहेंगे. जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान होंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास शामिल होंगे. ऐसे में जानते हैं कि, आखिर इसके क्या सियासी मायने हैं?

बता दें कि, राम मंदिर का उद्घाटन हिंदुओं के लिए कोई साधारण घटना नहीं है. करीब पांच सौ सालों से अयोध्या में भव्य राममंदिर का सपना लोग देख रहे थे. जो अब जाकर साकार हुआ है. इसकी अपनी धार्मिक महत्व है तो, सियासी मायने भी हैं. नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान होंगे. जिसका सीधा संदेश है कि, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सपना साकार के पीछे उनकी अहम भूमिका रही है. सुप्रीम कोर्ट से भले ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया हो, लेकिन बीजेपी नेता इसका श्रेय पीएम मोदी को देते रहे हैं. राम मंदिर की स्थापना से लेकर रामलला को विराजमान करने तक की अगुवाई पीएम मोदी ने किया. बीजेपी को इससे ये संदेश देना है कि, पीएम मोदी जो कहते हैं...उसे करके दिखाते हैं.

गर्भगृह में जाने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे संघ प्रमुख मोहन भागवत. राम मंदिर निर्माण को इस मुकाम तक पहुंचाने में संघ का बड़ा योगदान रहा. आरएसएस के प्रमुख रहे बाला साहेब देवरस के दौर में बाबरी मस्जिद के खिलाफ राम मंदिर आंदोलन चलाने की पहल मानी जाती है. संघ से जुड़े विश्व हिंदू परिषद ने ही राम मंदिर को लेकर देश भर में आंदोलन चलाया. राम मंदिर के घर-घर जाकर अभियान चलाने और अयोध्या में कारसेवा करने तक में संघ के लोगों की भूमिका अहम रही थी. ऐसे में अब रामलला विराजमान हो रहे हैं तो संघ प्रमुख मोहन भागवत की गर्भ गृह में मौजूदगी से इस बात का संदेश है कि, राम मंदिर के सपने को साकार करने में संघ की बड़ी भूमिका रही है.

22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम मोदी और मोहन भागवत के साथ आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहेंगी. आनंदीबेन पटेल भले ही यूपी के गवर्नर के तौर पर उनकी उपस्थिति हो, लेकिन वो राज्यपाल के साथ-साथ एक महिला भी हैं. इस तरह गर्भ गृह में मौजूद रहने वाले पांच लोगों में आनंदीबेन पटेल एकलौती महिला हैं, जिसके जरिए आधी आबादी को सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है. वहां पर राज्यपाल के साथ-साथ महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व करेंगी.

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान गर्भ गृह में पीएम मोदी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे. योगी आदित्यनाथ को भले ही प्रोटोकॉल के तहत उत्तर प्रदेश के सीएम के रूप में गर्भ गृह में रहने की मंजूरी मिली हो. लेकिन, उसके दूसरे सियासी मायने भी हैं. पीएम मोदी के साथ सीएम योगी के साथ गर्भ-गृह में होने का एक सीधा संदेश दोनों नेताओं के बीच बेहतर तालमेल और केमिस्ट्री बताने की है. तो दूसरा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी अहम है. यूपी से 80 लोकसभा सीटें आती हैं और बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने में सूबे का अहम रोल रहा है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का फोकस यूपी पर खास तौर से है.

भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान गर्भ गृह में पांचवें सदस्य के तौर पर पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास मौजूद रहेंगे, क्योंकि उन्हें ही सारे अनुष्ठान कराने हैं. यजमान की भूमिका में पीएम मोदी होंगे तो पूजारी की भूमिका में आचार्य सत्येंद्र दास होंगे. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर का पट बंद रहेगा. प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान रामलाल की आंख की पट्टी खोली जाएगी. भगवान रामलाल को आईना दिखाया जाएगा. उसके बाद प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी. इसके बाद आरती होगी और पूजन-पाठ संपन्न होगा, जिसे आचार्य सत्येंद्र दास कराएंगे. इसके बाद रामलला की आरती भी कराई जाएगी. आरती के बाद भोग लगेगा और भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाएगा.