किसान आज कर रहे है दिल्ली में विरोध प्रदर्शन, जानें 2020 के आंदोलन से कितना है अलग

किसानों का आज दिल्ली में अपनी मांगों के लेकर विरोध प्रदर्शन है. Farmers are protesting in Delhi today regarding their demands.

किसान आज कर रहे है दिल्ली में विरोध प्रदर्शन, जानें 2020 के आंदोलन से कितना है अलग

उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली की ओर बढ़ने लगे हैं. किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकला. हालांकि, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है. सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। 

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च में 200 से अधिक किसान संघ शामिल है. किसानों के 2020 के आंदोलन को देखते हुए इस बार उन्हें दिल्ली तक नहीं आने देने के कई उपाय अपनाए जा रहे हैं. किसान आज 10 बजे ‘दिल्ली चलो‘ मार्च शुरू करेंगे. हरियाणा की सरकार ने अपनी सीमा पर बड़ी बाड़ लगा दी है, ताकि प्रदर्शनकारी किसान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश न कर सकें. 

किन कारणों से अलग है ये आंदोलन 

किसानों ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिन्हें 2021 में निरस्त कर दिया. अब किसानों ने सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, पूर्ण कर्ज माफ करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए 2023 में ‘दिल्ली चलो’ की घोषणा की थी. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है. 

किसानों के 2020 में किए गए आंदोलन के दौरान प्रमुख चेहरा बने राकेश टिकैत इस बार दिल्ली चलो मार्च में शामिल नहीं होंगे. इस बार संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. 

किसानों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सीमा पर कंटीले तार, सीमेंट बैरिकेड और सड़कों पर कीलें लगाने के साथ ही दिल्ली की सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है. दिल्ली में धारा 144 भी लागू कर दी गई है. हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगने वाली अपनी सभी सीमाओं को सील कर दिया है. 

पिछली बार हुए किसान आंदोलन से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला. केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच पहली बैठक 8 फरवरी और दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई थी. बैठक में केंद्र ने किसानों के खिलाफ 2020 में दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन एमएसपी की कोई गारंटी नहीं दी.