समलैंगिक विवाह पर SC का बड़ा फैसला! जानें कोर्ट रूम में किसने क्या दलील दी?
Know who has given what arguments in the Supreme Court on same sex marriage. जानें सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट में किसने क्या दलील दी हैं.
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में 18 अप्रैल 2023 से सुनवाई शुरू हुई थी और 11 मई को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ के सामने शादी के पक्ष और विपक्ष में दिलचस्प दलीलें पेश की गईं थीं. याचिकाकर्ताओं ने समलैंगिंक शादियों को मान्यता देने की अपील की है जबकि केंद्र सरकार ने प्राकृतिक व्यवस्था का हवाला देते हुए विरोध किया था.
वहीं, अब सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक शादी को कानूनी बाध्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सीजेआई ने कहा कि, ये संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है. हालांकि, सीजेआई ने समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है. साथ ही CJI ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं. ऐेसे में जानते हैं कि, कोर्ट रूम में किसने क्या-क्या तर्क दिए.
समलैंगिक शादी के समर्थन में तर्क
. स्पेशल मैरिज के तहत मान्यता दिए जाने का तर्क.
. मौलिक अधिकार से जुड़ा है मामला.
. संवैधानिक व्यवस्था से नहीं जुड़ा है केस.
. शहरी सोच का नतीजा नहीं.
. कानूनी हक के दायरे से बाहर हैं बच्चे.
केंद्र सरकार की दलील
. ये जटिल विषय है और समाज पर असर पड़ेगा.
. इस विषय पर सरकार कमेटी गठित करने के लिए है तैयार.
. अलग अलग धर्मों में समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं.
. समलैंगिक जोड़ों को बच्चों के गोद लेने पर ऐतराज.
. अलग अलग किस्म के दावों की होगी शुरुआत.
फैसले से पहले सीजेआई ने क्या कहा?
. कोर्ट का कितना दखल जरूरी इस पर विचार जरूरी.
. सबको अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है.
. समय के साथ जीवनशैली में बड़े बदलाव हुए हैं.
. अनुच्छेद 21 के तहत अधिकार है.
. जेंडर और सेक्सुअलिटी एक नहीं हैं.
. स्पेशल मैरिज एक्ट में कोर्ट बदलाव नहीं कर सकता.
. केंद्र और राज्य सरकारें इस विषय पर भेदभाव खत्म करें.