राम नाम की टोपी बना रहें मुस्लिम, कहा- 'कर रहे हैं फक्र महसूस'
This Muslim family of Amroha is making caps for Ram devotees going to Ayodhya. अयोध्या जाने वाले राम भक्तों के लिए टोपी बना रहा है अमरोहा का ये मुस्लिम परिवार.
अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, वैसे-वैसे देशभर में उत्साह बढ़ रहा है. हर कोई रामलला के स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ कट्टरपंथ और जिहादी मानसिकता रखने वाले कुछ लोग रंग में भंग डालने की कोशिश भी कर रहे हैं...लेकिन, उन लोगों के मुंह पर अमरोहा के मुसलमानों ने एक करारा तमाचा जड़ा है...इन कट्टरपंथियों को दिखा दिया है कि, भारत की असल संस्कृति क्या है? भारतीयों में भगवान राम के प्रति कितना सम्मान है...चाहे वो किसी भी पंथ या समुदाय का क्यों ना हो.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अमरोहा में श्रीराम लिखी टोपियां बड़े स्तर पर तैयार की जा रही हैं. ये टोपियां अमरोहा से दिल्ली भेजी जा रही हैं. खास बात ये है कि इन टोपियों का निर्माण मुस्लिम परिवार कर रहा है. अमरोहा का ये मुस्लिम परिवार दिन-रात श्रीराम नाम की टोपियां सिल रहा है. अयोध्या में राम भक्त अमरोहा के मुस्लिम परिवार की बनाई हुई टोपियों को अपने सिर में पहनेंगे.
अमरोहा के बटवाल क्षेत्र में नसीम बेग अपने परिवार के साथ रहते हैं. ये पूरा परिवार टोपी सिलकर गुजरा करता है. अचानक इस परिवार को श्रीराम लिखी टोपियों का बड़ा ऑर्डर मिल गया. फिर इन्हें पता चला कि ये टोपियां राम भक्त अयोध्या में पहनेंगे. ये जान पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. वहीं, टोपी बनाने वाले कारीगर मुर्सलीन बेग ने बताया कि हर शहर में इसकी खूब मांग है, जो लोग अयोध्या जा रहे हैं वो खासतौर पर ये टोपी मंगवा रहे हैं. उन्होंने कहा ये टोपी बहुत खूबसूरत लगती है, हम भी चाहते हैं कि लोग अयोध्या में ये टोपी लगाकर जाएं.
बता दें कि, अब ये पूरा का पूरा परिवार श्रीराम लिखी टोपियों को बनाने में लग गया है. घर की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग तक इन टोपियों को बनाने में लग गए हैं. पिछले करीब 25 दिनों में ये परिवार 50 हजार टोपियां बनाकर भेज चुका है. जब से इस परिवार को ये पता चला है कि, 22 जनवरी के दिन अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम में राम भक्त हमारे हाथ से बनी टोपियां अपने सिर पर पहनेंगे, तभी से पूरे परिवार को खुद पर गर्व हो रहा है....गर्व होना भी चाहिए... क्योंकि, अल्लामा इक़बाल का एक शेर है...'मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना....हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा'.