क्यों कम हो होंगे पेट्रोल-डीजल के रेट? ये हैं वो तीन कारण...
Know what are the three big reasons behind the reduction in the rates of petrol and diesel. जानें पेट्रोल डीजल के रेट कम होने के पीछे के तीन बड़े कारण क्या हैं.
केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से पेट्रोल-डीजल कम करने की तैयारी चल रही है. मई 2022 के बाद यह पहला मौका होगा जब पेट्रोल-डीजल के रेट कम होंगे. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) जल्द तेल की कीमत में कमी की घोषणा कर सकती हैं. रेट में गिरावट का कारण आने वाला लोकसभा चुनाव को माना जा रहा है. हमारी सहयोगी वेबसाइट Wion ने भी पेट्रोल के रेट में 8 रुपये लीटर या इससे ज्यादा की कटौती का दावा किया है. आइए जानते हैं पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती के तीन बड़े कारण-
1. पेट्रोल-डीजल पर OMCs की अंडर रिकवरी खत्म
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने पेट्रोल-डीजल पर अंडर रिकवरी खत्म कर दी है. तेल कंपनियों ने पिछले करीब डेढ़ साल से कीमत में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की है. इसका कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आना भी रहा. OMC अंडर रिकवरी के जरिये इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में इजाफे से होने वाले नुकसान की भरपाई कर रही थीं. अंडर रिकवरी खत्म होने पर पेट्रोल के रेट में 9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3-4.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती होने की उम्मीद की जा रही है.
2. तेल कंपनियों का तीन क्वार्टर से प्रॉफिट
2022 से तेल की कीमत में किसी प्रकार की कटौती नहीं होने से तेल कंपनियां पिछली तीन तिमाही से लगातार फायदे में हैं. दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक दायरे में चलना भी फायदे का प्रमुख कारण है. भारतीय तेल कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के तीसरे तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 47,817 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया. यह पिछले साल की इसी अवधि के 33,159 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से 45% ज्यादा है. वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 42,522 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था.
3. क्रूड ऑयल की कीमत एक रेंज के आसपास
क्रूड ऑयल की कीमत पिछले काफी समय से एक रेंज के आसपास ही चल रही है. इसके बाद भी तेल कंपनियों पर कीमत में गिरावट का दबाव बढ़ गया है. शुक्रवार को डब्ल्यूटीआई क्रूड मामूली तेजी के साथ 72.14 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 77.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. मई 2022 में ब्रेंट क्रूड की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल के करीब थी. उस समय तेल कंपनियों को हो रहे नुकसान की रिकवरी के लिए सरकार की तरफ से टैक्स में कटौती की गई थी.