अमेरिकी थिंक टैंक रिपोर्ट का दावा, क्यों बना भारत 'गरीबी मुक्त'?

अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है. दावा ये है कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है. American think tank Brookings has done this in one of its reports. The claim is that India has eliminated extreme poverty.

अमेरिकी थिंक टैंक रिपोर्ट का दावा, क्यों बना भारत 'गरीबी मुक्त'?

भारत की गरीबी को लेकर विपक्षी नेता लगातार सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आए हैं और मोदी सरकार से न जाने कितनी ही बार देश की गरीबी पर सवाल खड़े किए हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब आरोप-प्रत्यारोप तो होंगे लेकिन विपक्षी नेता गरीबी पर सवाल नहीं उठा पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी के 10 सालों के कार्यकाल में एक ऐसा कमाल हुआ है देश गरीबी से मुक्त हो गया है. 

ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ये दावा अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है. दावा ये है कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है और अब वह उच्च गरीबी रेखा में जाने के लिए 'पात्र' है, यानी कि हमारे देश में अब अत्यधिक गरीब लोगों की संख्या न के बराबर हो चुकी है.  

क्या कहती है अमेरिकी रिपोर्ट? 

भारत के नीतिगत सुधारों, आर्थिक रणनीतियों और विभिन्न सरकारी योजनाओं के दम पर भारत ने खुद को अत्यंत गरीबी से मुक्त कर लिया है. माना जा रहा है कि इसमें मोदी सरकार की गरीबों के लिए लाई गई विभिन्न योजनाओं की बदौलत भारत अत्यंत गरीब वर्ग के लोगों को बेहतर स्थिति में लाने में कामयाब हो पाया है. अमेरिकी थिंक टैंक द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट में कहा, भारत में बीते एक दशक में समावेशी, विकास हुआ है, मजबूत नीति के दम पर भारत सरकार संसाधनों के बेहतर पुनर्वितरण में सफल रही है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थव्यवस्था की उच्च वृद्धि दर और आय असमानता में कमी से देश में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) यानी खरीद क्षमता 1.9 डॉलर प्रति व्यक्ति तक पहुंच गई है, इससे यह पुष्टि होती है कि भारत में अत्यंत गरीबी खत्म हो चुकी है.  

किसने तैयार की रिपोर्ट? 

खास बात ये है कि अमेरिकी थिंक टैंक के लिए ये रिपोर्ट IMF के पूर्व कार्यकारी निदेशक सुरजीत भल्ला और अल्बनी यूनिवर्सिटी के शोध छात्र करण भसीन ने तैयार की है. इन दोनों अर्थशास्त्रियों ने अपना निष्कर्ष 2022-23 के कंज्मप्शन एक्सपेंडिचर डेटा की स्टडी करके निकाला है जिसे पिछले दिनों जारी किया गया था. इससे पता चलता है कि 2011-12 के बाद से वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत सालाना आधार पर 2.9 प्रतिशत बढ़ी है. इसमें 2.6 प्रतिशत की अर्बन ग्रोथ के मुकाबले 3.1 प्रतिशत की रूरल ग्रोथ काफी अधिक है. 

ध्यान देने योग्य बातें 

इसके साथ ही, शहरी और ग्रामीण असमानता में भी बड़ी गिरावट आई है। शहरी गिनी 36.7 से घटकर 31.9 हो गई। वहीं ग्रामीण गिनी 28.7 से कम होकर 27.0 पर आ गई है. ये रिपोर्ट भारत को अत्यधिक गरीबी के गर्त से बाहर निकालने का श्रेय पीएम मोदी और उनकी कल्याणकारी योजनाओं को देती है. 

इस रिपोर्ट में बड़े ही उत्साहपूर्वक तरीके से एक वाक्य लिखा है कि 'समय आ गया है कि भारत अन्य विकसित समकक्षों की तरह उच्च गरीबी रेखा पर पहुंच जाए.' शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई गैस, सभी के लिए आवास, शौचालय निर्माण, पाइप से पानी और बिजली की आपूर्ति के माध्यम से पूरी आबादी को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने पर सरकार का तीव्र ध्यान एक वातावरण को सक्षम और सुविधाजनक बनाने में काफी हद तक सहायक रहा है. 

सर्वसमावेशी विकास.के अनुसार विकास संकेतकों में सुधार पर सरकार का स्पष्ट ध्यान इस बदलाव के पीछे गेम-चेंजर हो सकता है. प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, शहरी और ग्रामीण असमानता में गिरावट और देश के गरीबी सूचकांक में भारी गिरावट का पता चला है. ब्रुकिंग्स रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत वृद्धि 2.9 प्रतिशत प्रति वर्ष दर्ज की गई, जबकि ग्रामीण वृद्धि 3.1 प्रतिशत प्रति वर्ष थी, जो शहरी विकास 2.6 प्रतिशत से अधिक थी. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अब उच्च गरीबी रेखा पर पहुंचना चाहिए, जो वास्तविक गरीबों को अधिक समर्थन देने के लिए मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को फिर से परिभाषित करने का अवसर प्रदान करेगा. यानी कि पीएम मोदी की जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर ही देश अत्यधिक गरीबी से बाहर निकल पाया है.